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Wheat Disease गेहूं में पीले रतुआ की समस्या: पहचान, रोकथाम और समाधान

जानें गेहूं में पीले रतुआ के लक्षण, प्रभाव और समाधान। हिमाचल प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी दिशा-निर्देश और फफूंदनाशक का सही उपयोग।

हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के चौधरी सरवन कुमार विस्तार शिक्षा निदेशालय के कृषि वैज्ञानिकों ने हाल ही में किसानों को गेहूं की एक गंभीर बीमारी, पीला रतुआ (Yellow Rust) के लक्षणों और प्रबंधन के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह बीमारी, जिसे धारीदार रतुआ भी कहा जाता है, गेहूं की पैजानें गेहूं में पीले रतुआ के लक्षण, प्रभाव और समाधान। हिमाचल प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी दिशा-निर्देश और फफूंदनाशक का सही उपयोग।दावार पर गहरा असर डाल सकती है।

पीले रतुआ के लक्षण

पीला रतुआ मुख्यतः ठंडे और आर्द्र मौसम में विकसित होता है। इसके लक्षण आमतौर पर दिसंबर के मध्य से जनवरी की शुरुआत में दिखाई देते हैं। यह मार्च के अंत तक फैल सकता है। इसके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • पत्तियों पर पीले रंग की पाउडर जैसी धारियाँ।
  • रोगग्रस्त खेतों में चलने से कपड़ों पर पीले धब्बे।
  • गंभीर संक्रमण में पत्तियां, तने और बालियां भी प्रभावित होती हैं।
  • पत्तियां समय से पहले सूख जाती हैं, जिससे दानों का आकार छोटा हो जाता है।

मार्च के अंत में तापमान बढ़ने पर पीली धारियाँ काली हो जाती हैं, जो बीमारी के उन्नत चरण को दर्शाती हैं।


पीले रतुआ के प्रभाव

पीला रतुआ गेहूं की उपज को काफी हद तक कम कर सकता है। इस बीमारी के कारण दानों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में गिरावट आती है।

प्रभावविवरण
उपज में कमीदानों का सिकुड़ना और सूखना।
पत्तियों का सूखनासमय से पहले सूखने से पौधे कमजोर।
उत्पादन लागत में वृद्धिफफूंदनाशक और अन्य उपायों की जरूरत।

रोकथाम के उपाय

वैज्ञानिकों ने रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:

  1. रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन
    किसानों को सलाह दी जाती है कि वे केवल अनुशंसित किस्में ही लगाएं।
  2. नियमित फसल निरीक्षण
    विशेष रूप से पेड़ों के पास उगाई गई फसलों का निरीक्षण करें, क्योंकि ये क्षेत्र अधिक संवेदनशील होते हैं।
  3. फफूंदनाशक का छिड़काव
    यदि लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत प्रोपिकोनाज़ोल 25 EC का उपयोग करें।

फफूंदनाशक का उपयोग

पीले रतुआ को नियंत्रित करने के लिए फफूंदनाशक का सही उपयोग बेहद जरूरी है।

प्रकारमात्रापानी की मात्रा
एक कनाल के लिए30 मिली प्रोपिकोनाज़ोल30 लीटर पानी
एक बीघा के लिए60 मिली प्रोपिकोनाज़ोल60 लीटर पानी

छिड़काव का समय:

  • पहला छिड़काव दिसंबर के अंत या लक्षण दिखाई देने पर करें।
  • यदि बीमारी बनी रहती है, तो 15-20 दिनों के अंतराल पर छिड़काव दोहराएं।
  • बेहतर परिणाम के लिए स्टिकर का उपयोग करें।

किसानों के लिए विशेष सलाह

  • अपने खेतों में नियमित निरीक्षण करें।
  • अनुशंसित किस्में जैसे HD 2967, WH 1105 का चयन करें।
  • आस-पास के खेतों में बीमारी की स्थिति पर नजर रखें।
  • फफूंदनाशक का सही अनुपात में उपयोग सुनिश्चित करें।

गेहूं की फसल में पीला रतुआ एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही समय पर पहचाने और प्रबंधन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे कृषि विशेषज्ञों के सुझावों का पालन करें और रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें।


 

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