Bloat Disease दुधारू पशुओं में अफरा रोग का समाधान: हरा चारा खिलाने में बरती जाए सावधानी
Learn how to prevent bloat disease in dairy animals by providing mixed green fodder. Understand the causes and solutions for maintaining the health of your livestock.
दुधारू पशुओं की देखभाल में आ रही चुनौती
दुधारू पशुओं का पालन करना कमाई का एक अच्छा विकल्प है और सरकार भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है। विभिन्न प्रकार की सब्सिडी भी दी जा रही है। हालांकि, पशुपालकों को दुधारू पशुओं की देखभाल में कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जैसे कि ज्यादा दूध देने के लिए उन्हें हरा चारा खिलाना पड़ता है। लेकिन इस समय हरा चारा खिलाने से अफरा रोग का खतरा बढ़ गया है।
Bloat Disease अफरा रोग क्या है?
अफरा रोग, जिसे आम शब्दों में पशुओं में गैस बनना कहा जाता है, एक गंभीर समस्या है। यदि इसे समय पर नहीं रोका गया तो यह पशुओं की मृत्यु का कारण बन सकता है। बिहार के कई पशुपालकों को यह समस्या देखने को मिली है।
अफरा रोग का कारण
अफरा रोग का मुख्य कारण एक ही तरह का हरा वरसीम चारा ज्यादा मात्रा में खिलाना है। यदि केवल वरसीम चारा, खासकर छोटी अवस्था का, पशुओं को दिया जाता है तो इससे गैस बनती है और यह जहर की तरह काम करता है। वरसीम चारे में सैफोलिन नामक एक केमिकल होता है, जो पशुओं के लिए नुकसानदायक हो जाता है।
अफरा रोग का समाधान
अफरा रोग से बचने के लिए पशुपालकों को मिश्रित हरा चारा देना चाहिए।
मिश्रित हरा चारा के फायदे
- विविधता: वरसीम के साथ-साथ नेपियर और राई आदि का चारा भी मिलाकर दें।
- पोषण संतुलन: विभिन्न प्रकार के हरे चारे देने से पशुओं को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
- गैस की समस्या नहीं: मिश्रित हरा चारा देने से गैस की समस्या और अफरा रोग नहीं होता।
उपयोग की विधि
- मिश्रण: वरसीम चारे को अन्य हरे चारे जैसे नेपियर और राई के साथ मिलाकर दें।
- समय: नियमित अंतराल पर मिश्रित हरा चारा देना चाहिए।
- मात्रा: चारे की मात्रा का ध्यान रखें और एक ही तरह का चारा अधिक मात्रा में न दें।
महत्वपूर्ण बातें:
पहलू | विवरण |
---|---|
रोग का नाम | अफरा रोग |
मुख्य कारण | वरसीम चारा अधिक देना |
समाधान | मिश्रित हरा चारा देना |
चारे के प्रकार | वरसीम, नेपियर, राई |