Women Naga Sadhus: नागा साधु कितने प्रकार के कपड़े पहन सकते है ? देखें वस्त्र धारण के नियम
जानिए महिला नागा साधुओं के वस्त्र धारण के नियम, दीक्षा प्रक्रिया और उनकी जीवन शैली के बारे में। नागा साधु बनने के लिए आवश्यक ब्रह्मचर्य पालन और पिंडदान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
Women Naga Sadhus: नागा साधु कितने प्रकार के कपड़े पहन सकते है ? देखें वस्त्र धारण के नियम
13 जनवरी 2025
Women Naga Sadhus: प्रयागराज में आज से महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है, जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु और नागा साधु पहुंचे हैं। इस भीड़ में महिला नागा साधु भी शामिल हैं, जिनके बारे में शायद ही आपने सुना होगा। आइए जानते हैं महिला नागा साधुओं के वस्त्र धारण के नियम और उनकी जीवन शैली के बारे में।
नागा साधुओं का वस्त्रधारण
नागा साधुओं में कुछ साधु वस्त्रधारी होते हैं और कुछ दिगंबर यानी बिना कपड़ों के होते हैं। लेकिन महिला नागा साधुओं के लिए वस्त्र धारण के कुछ खास नियम होते हैं। महिला नागा साधुओं को एक विशेष रंग का कपड़ा पहनने की अनुमति होती है, जिसे गुरुआ कहा जाता है। ये कपड़ा बिना सिला हुआ होता है, जिसे गंती कहा जाता है।
दीक्षा और ब्रह्मचर्य पालन
महिला नागा साधु बनने से पहले उन्हें 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इस दौरान उन्हें संन्यास की दीक्षा दी जाती है और वे अपने जीवन को पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित कर देती हैं। दीक्षा के बाद महिला गुरु उन्हें नागा साधु बनने की अनुमति देते हैं।
पिंडदान और सन्यास
महिला नागा साधु को यह साबित करना होता है कि वह पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित हो चुकी हैं। इसके लिए उन्हें अपने जीवन का पिंडदान करना होता है, जो वे खुद ही करती हैं। इस प्रक्रिया के बाद वे अपने पिछले जीवन को पीछे छोड़ देती हैं और पूरी तरह से सन्यासी बन जाती हैं।
गतिविधि | समय |
---|---|
ब्रह्मचर्य पालन | 6-12 साल |
पिंडदान | दीक्षा के बाद |
शिव आराधना | सुबह |
भगवान दत्तात्रेय की पूजा | शाम |
दैनिक जीवन और साधना
महिला नागा साधु भोर में नदी में स्नान करती हैं और इसके बाद दिनभर भगवान का जाप करती हैं। वे सुबह शिव आराधना और शाम में भगवान दत्तात्रेय की पूजा करती हैं। उनकी साधना में दिनभर भगवान का नाम जपना और ध्यान लगाना शामिल होता है।