rice stock चावल और गेहूं के स्टॉक में बड़ी गिरावट, क्या होगा भविष्य? जानें ताजे आंकड़े
भारत सरकार ने आगामी रबी विपणन सत्र 2025-26 के लिए तीन करोड़ टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है।
Rice stock : भारत में खाद्यान्न की आपूर्ति को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें चावल और गेहूं के भंडारण की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। चावल के भंडारण में इस बार रिकॉर्ड वृद्धि देखने को मिली है, जबकि गेहूं के भंडारण में गिरावट आई है। सरकार की कोशिश है कि इस असंतुलन को संतुलित किया जाए, लेकिन इसमें कई चुनौतियां सामने आ रही हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि यह रिपोर्ट क्या कहती है, और भारत में चावल और गेहूं की स्टॉक स्थिति का क्या असर पड़ सकता है।
चावल का भंडारण हुआ रिकॉर्ड स्तर पर
भारत में चावल का भंडारण इस बार रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी तक सरकारी गोदामों में चावल और धान का कुल भंडार 609 लाख टन था, जो कि सरकार के निर्धारित लक्ष्य से आठ गुना अधिक है। यह स्थिति चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सहायक साबित हो सकती है। चावल का अधिक भंडारण सरकार के लिए एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि इसे उचित रूप से निपटाना जरूरी है।
गेहूं के स्टॉक में गिरावट आई है
वहीं दूसरी ओर, गेहूं के भंडारण में कमी देखी जा रही है। 1 जनवरी तक गेहूं का भंडार सिर्फ 184 लाख टन था, जो सरकार के लक्ष्य 138 लाख टन से थोड़ा ही ज्यादा था। गेहूं के घटते भंडार को लेकर व्यापारियों ने सरकार से गेहूं की बिक्री बढ़ाने की मांग की है ताकि बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ाई जा सके। इस कमी को देखते हुए सरकार थोक उपभोक्ताओं को अधिक स्टॉक उपलब्ध कराने से बच सकती है, क्योंकि भविष्य में गेहूं की मांग बढ़ सकती है।
सरकार का गेहूं खरीदने का लक्ष्य क्या है?
भारत सरकार ने आगामी रबी विपणन सत्र 2025-26 के लिए तीन करोड़ टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है। यह निर्णय विभिन्न राज्यों के खाद्य सचिवों के साथ चर्चा के बाद लिया गया है। कृषि मंत्रालय ने 2024-25 में 11.5 करोड़ टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया है। हालांकि, सरकार का खरीद लक्ष्य इस अनुमानित उत्पादन से काफी कम है, जो गेहूं की आपूर्ति को लेकर चिंताएं पैदा कर सकता है।
चावल के अधिक भंडारण की चुनौती
चावल का भंडारण जहां एक ओर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, वहीं दूसरी ओर गेहूं का भंडारण बहुत कम है। चावल के अधिक भंडारण के कारण सरकार के लिए इसे निपटाने के लिए नए रास्ते खोजने होंगे। कुछ राज्यों में अभी भी धान की खरीद जारी है, जो सरकार के लिए एक चुनौती बन रही है। अतिरिक्त चावल को सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से वितरित करने की योजना बनानी होगी। यह असंतुलन सरकार के लिए एक जटिल स्थिति पैदा कर रहा है।
चावल के निर्यात में वृद्धि
भारत में चावल के भंडारण में वृद्धि का एक सकारात्मक असर यह हो सकता है कि चावल का निर्यात बढ़ सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, और सरकार ने हाल ही में चावल निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा लिया था, जिसके बाद चावल का निर्यात तेजी से बढ़ने लगा है। यह देश के कृषि क्षेत्र के लिए एक अच्छा संकेत है।
गेहूं की बिक्री पर सरकार का दृष्टिकोण
गेहूं के कम भंडारण को लेकर सरकार का दृष्टिकोण थोड़ी चिंता का विषय बन गया है। पिछले वर्ष की तुलना में सरकार खुले बाजार में कम गेहूं बेच रही है, जिसके कारण गेहूं का भंडारण संतोषजनक नहीं है। मुंबई स्थित एक वैश्विक व्यापार कंपनी के डीलर के अनुसार, सरकार को गेहूं की बिक्री बढ़ानी चाहिए ताकि गेहूं की उपलब्धता में सुधार हो सके।
रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन
रबी सीजन 2024-25 में गेहूं की फसल की स्थिति काफी अनुकूल बताई जा रही है। गेहूं की बुवाई का काम लगभग पूरा हो चुका है, और विभिन्न राज्यों में अच्छी फसल की उम्मीद जताई जा रही है। इसके बावजूद, सरकार ने आगामी खरीद का लक्ष्य अपेक्षाकृत कम रखा है, जो भविष्य में गेहूं की उपलब्धता पर असर डाल सकता है।
सरकार की योजना और कदम
सरकार ने गेहूं की खरीद को लेकर जो लक्ष्य तय किया है, वह आगामी रबी विपणन सत्र के लिए निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को राज्यों के खाद्य सचिवों से चर्चा करने के बाद तय किया गया है। हालांकि, सरकार को गेहूं के भंडारण की स्थिति में सुधार के लिए जल्द ही कुछ कदम उठाने होंगे। गेहूं के कम भंडारण को लेकर सरकार का दृष्टिकोण अभी भी स्पष्ट नहीं है।
निर्यात और आयात की स्थिति
भारत का चावल निर्यात इस समय तेजी से बढ़ रहा है, और गेहूं के निर्यात में भी धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। हालांकि, गेहूं के निर्यात में उतनी तेजी नहीं देखी जा रही है। गेहूं के आयात की संभावना भी बढ़ सकती है यदि देश में गेहूं की कमी होती है। यह स्थिति भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकती है और सरकार को गेहूं के आयात के लिए कदम उठाने पड़ सकते हैं।
सरकार के लिए एक जटिल स्थिति
चावल और गेहूं के भंडारण के बीच असंतुलन सरकार के लिए एक जटिल स्थिति पैदा कर रहा है। चावल का अधिक भंडारण सरकार के लिए एक चुनौती बन सकता है, जबकि गेहूं के भंडारण में कमी सरकार के लिए एक चिंताजनक पहलू है। सरकार को इस असंतुलन को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
चावल और गेहूं के भंडारण की स्थिति इस समय असंतुलित है। जहां चावल का भंडारण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, वहीं गेहूं के भंडारण में कमी आई है। सरकार को इस असंतुलन को संतुलित करने के लिए नई योजनाओं और कदमों की आवश्यकता है। आने वाले समय में यह स्थिति खाद्य सुरक्षा और बाजार की स्थिरता पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है।