बजट में आबंटित होगा बागवानी का लक्ष्य, किन्नू और खजूर के प्रति बढ़ा रुझान, अनुदान बढ़ाने का उठा मुद्दा
बजट में आबंटित होगा बागवानी का लक्ष्य, किन्नू और खजूर के प्रति बढ़ा रुझान, अनुदान बढ़ाने का उठा मुद्दा
खेत खजाना : जिले में किसानों का बागवानी का रुझान बढ़ने लगा है। इस बार जुलाई में बजट आने की संभावना है। इसमें राज्य सरकार किनू, खजूर सहित विभिन्न बागवानी का लक्ष्य जारी करेगी। किसान अनुदान भी बढ़ाने का मुद्दा उठा रहे हैं। अगर सरकार खजूर सहित विभिन्न बागवानी पौधों पर अनुदान बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। आम तौर पर सरकार मार्च में बजट पेश करती है। उसमें बागवानी सहित विभिन्न योजनाओं के टारगेट तय करती है। इस बार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण बजट पेश नहीं हो पाया। अब सरकार जुलाई में बजट पेश करेगी। अब तक लक्ष्य निर्धारित नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा खजूर के पौधे लगाने वाले किसान परेशान हो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार खजूर के पौधे लगाने के लिए उपयुक्त समय जुलाई-अगस्त का माना जाता है। जुलाई में सरकार बजट पेश कर लक्ष्य निर्धारित करेगी। इस कारण खजूर के पौधे लगाने वाले किसानों को अनुदान के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है। इससे समय पर बाग नहीं लगने की आशंका है। खजूर के पौधों की कीमत भी अधिक है। ऐसे में किसान बिना सब्सिडी के खजूर की बागवानी करने में भी असमर्थ है। एक पौधे की कीमत लगभग 4500 रुपए है। इसमें से 3 हजार रुपए सरकार अनुदान देती है। इसलिए किसान पहले उद्यान विभाग में आवेदन करते हैं। आवेदन के बाद किसान से हिस्सा राशि जमा करवाई जाती है। फिर विभाग द्वारा पौधों की टेस्टिंग करवाकर कृषकों को दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया भी लंबी होती है।
जिले में करीब 20 वर्षों में 3 हजार हेक्टेयर में बागवानी हुई है। इसमें लगभग 1700 हेक्टेयर में बाग फलत अवस्था में है। जिले में किनू की बागवानी सबसे ज्यादा 2225 हेक्टेयर में हुई है। इसके बाद खजूर है। 160 हेक्टेयर में खजूर के बाग लग चुके हैं। इसके अलावा 150 हेक्टेयर के करीब माल्टा के बाग लगे हुए हैं। नींबू, अमरूद, आंवला, बेर, जोजाबा, बेलपत्र की भी बागवानी हुई है। उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले के किसानों का किनू की बागवानी के प्रति रुझान अधिक है।
जिले में सबसे अधिक बागवानी का क्षेत्रफल हनुमानगढ़ तहसील में है। यहां अब तक लगभग 900 हेक्टेयर में काश्तकार विभिन्न प्रकार की बागवानी कर चुके हैं। सबसे कम नोहर में बागवानी हुई है। इसके अलावा पीलीबंगा, संगरिया, टिब्बी, रावतसर व भादरा तहसील क्षेत्र में काश्तकार बागवानी कर रहे हैं। उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार सिंचित क्षेत्र में बागवानी में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती। मिट्टी भी पौधों के अनुकूल है।
किन्नू की बंपर पैदावार होने की संभावना, नहरबंदी नहीं लेने के कारण राहत
जिले में इस बार कित्रू की पैदावार भी बंपर होने की संभावना है। वर्तमान में किन्नू के पौधों पर फाल भी अच्छा है। किसानों के अनुसार इस बार नहर बंदी नहीं लेने के कारण डिग्गियों के माध्यम से बागवानी में समय पर पानी दिया गया। इससे फलतः अवस्था अच्छी रही है। इसी कारण उत्पादन भी अच्छा होने की संभावना है। बाग लीज पर लेने के लिए ठेकेदार भी बोली लगा रहे हैं। बाजार भाव अच्छा रहने की संभावना जताई जा रही है। इससे कृषकों को बागवानी से अच्छी आय होने की संभावना है।
किन्नू के बाद खजूर से भी किसानों को अच्छी आय होती है। जिले में 160 हेक्टेयर में खजूर की बागवानी हो रही है। पौधे तैयार होने के बाद एक साल में प्रति पौधा 80 किलो से एक क्विंटल तक उत्पादन होता है। जुलाई के अंतिम सप्ताह में हार्वेस्टिंग शुरू हो जाती है। सीजन में औसत भाव 70 रुपए प्रति किलो तक रहते हैं। इस कारण किसानों के लिए खजूर की बागवानी भी फायदे का सौदा साबित हो रही है।
बागवानी के लक्ष्य बजट में मिलने की उम्मीद, बजट अवश्य मिलेगा
बागवानी पर अनुदान के लक्ष्य बजट में मिलने की उम्मीद है। सभी योजनाओं के लिए बजट अवश्य मिलेगा। जिले में बागवानी के प्रति रुझान भी बढ़ रहा है। इस बार किन्नू के बाग भी अच्छी स्थिति में है। इससे उत्पादन भी अच्छा होने की संभावना है। डॉ. रमेशचंद्र बराला, उपनिदेशक उद्यान, हनुमानगढ़