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इस मोटे अनाज की खेती से किसान हुए लखपति, कम लागत, अधिक मुनाफा, बाजारों में आसानी से मिल जाता है बीज

इस मोटे अनाज की खेती से किसान हुए लखपति, कम लागत, अधिक मुनाफा, बाजारों में आसानी से मिल जाता है बीज

खेत खजाना, नई दिल्ली, आज के दौर में जब रासायनिक खेती और अत्यधिक सिंचाई पर निर्भर अनाजों की पैदावार धीरे-धीरे अपना दम तोड़ रही है, ऐसे में पुराने अनाजों की ओर लौटना एक स्थायी और लाभदायक विकल्प बनकर उभर रहा है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग, किसानों को इस लाभदायक दिशा में प्रेरित करने और मार्गदर्शन देने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।

मोटे अनाज, जिनमें ज्वार, बाजरा, रागी, और जौ जैसे अनाज शामिल हैं, अनेक गुणों से भरपूर हैं। इनकी खेती कम लागत में की जा सकती है, क्योंकि इनमें सिंचाई और उर्वरक की आवश्यकता कम होती है।

अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, श्री अरविंद कुमार, मोटे अनाज की खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं, “मक्का, जो कि जिले में सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल है, अत्यधिक सिंचाई और श्रम पर निर्भर करती है। इसकी तुलना में, मोटे अनाज कम पानी और कम मेहनत में उगाए जा सकते हैं, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा होता है।”

आजकल लोगों की खानपान की आदतों में बदलाव आ रहा है। स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ, लोग अधिक पौष्टिक और प्राकृतिक भोजन की ओर रुख कर रहे हैं। मोटे अनाज, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, इस बदलाव का लाभ उठाने का एक शानदार अवसर प्रदान करते हैं।

कृषि विभाग का सहयोग

कृषि विभाग मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनेक पहल कर रहा है। किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ, विभाग बीज, उन्नत तकनीक और वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करा रहा है।

श्री कुमार आगे कहते हैं हम मोटे अनाज की खेती को क्लस्टर आधारित प्रारूप में प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके साथ ही, सड़क किनारे इनकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक किसान इस लाभदायक विकल्प से अवगत हो सकें।

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