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Mashroom farming: 10×10 कमरे में सिर्फ कंपोस्ट और गेहूं, धान के भूसे से शुरू करें ये खेती, लागत सिर्फ ₹500, कमाई होगी बेहिसाब

Mashroom farming: 10×10 कमरे में सिर्फ कंपोस्ट और गेहूं, धान के भूसे से शुरू करें ये खेती, लागत सिर्फ ₹500, कमाई होगी बेहिसाब

 

देशभर में किसानों के लिए एक नई मशरूम की खेती अब कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का एक शानदार विकल्प बनकर उभरी है। जहां सामान्य रूप से किसान गेहूं, चावल और सब्जियों की खेती पर निर्भर रहते हैं, वहीं जलवायु परिवर्तन के चलते लाभकारी फसलों की तरफ उनका रुझान बढ़ रहा है। मशरूम की खेती विशेष रूप से इसमें सबसे आगे है और कानपुर का चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए बड़ी भूमिका निभा रहा है।

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60 दिन में 8 गुना मुनाफा

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मशरूम विभाग के अध्यक्ष और मशरूम शोध एवं विकास केंद्र के प्रभारी डॉक्टर एस.के. बिस्वास ने बताया कि किसानों के लिए मशरूम की खेती एक बड़ा मौका प्रदान करती है। इसके लिए बहुत अधिक जगह या पूंजी की आवश्यकता नहीं है। मात्र 500 रुपये के निवेश और एक छोटे से स्थान में किसान लगभग 30 से 40 किलो ढींगरी मशरूम उगा सकते हैं।

अगर इसकी कीमत ₹100 प्रति किलो मानी जाए, तो कुल उत्पादन से 3000 से ₹4000 तक की कमाई हो सकती है, जो निवेश का लगभग आठ गुना होता है। इसके लिए किसानों को 50 से 60 दिनों का इंतजार करना पड़ता है, जो कि सामान्य फसलों की तुलना में काफी कम समय है।

ढींगरी मशरूम की खेती के लिए खाद या मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती है। 10*10 के एक छोटे कमरे में, केवल कंपोस्ट और धान-गेहूं के अवशेषों का उपयोग करके भी अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। सितंबर के महीने में बुवाई शुरू करने पर 1 से 2 महीने के भीतर मशरूम तैयार हो जाते हैं।

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