किसान अज्ञानता से न करें खेती, वैज्ञानिकों की सलाह से बनाएं खेती को लाभ का सौदा

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किसान अज्ञानता से न करें खेती, वैज्ञानिकों की सलाह से बनाएं खेती को लाभ का सौदा

खेत खजाना, नई दिल्ली। आज के दौर में किसान मुश्किल की दौर में गुजर रहा है। किसानों के लिए बेमोसमी बारिश व ओलावृष्टि आफत बनकर आई है। किसान अपनी पकी हुई फसल को बर्बाद होते हुए देख मायुस है। खैर ये तो प्राकृतिक आपदा है इसका नुकसान कभी भी किसी को भी हो सकता है। लेकिन कुछ किसानों को खेती के बारें में जानकारी नही होती है। वो किसान खेती कर लेते है लेकिन जानकारी न होने की वजह से उन्हे भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

किसान केवल लागत कम करने के बारे में ही सोच सकता है। इसके लिए किसान को कृषि वैज्ञानिकों का सहारा लेना पड़ेगा। परंपरागत खेती की बजाए विविधीकरण की ओर बढ़ना होगा ताकि विपरीत मौसम के अनुकुल भी फसल ली जा सके। उच्च गुणवत्ता के बीजए उत्तम क्वालिटी की खादए कीटनाशकए सिंचाई के साधन व कृषि उपकरणों आदि पर लागत हर वर्ष बढ़ रही है।

ऐसे में इन बढ़ती लागतों को कैसे कम किया जाएए ये भी एक चुनौती है। इन सबसे निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह बहुत जरूरी है। अनावश्यक सिंचाईए खाद और अनावश्यक कीटनाशकों के प्रयोग से बचने के लिए वैज्ञानिकों की सलाह ही एकमात्र विकल्प है। मिट्टी की सही जांच होए जब तक मिट्टी की सही जांच नहीं होगी तब तक किसान अनावश्यक लागत बढ़ाता रहेगा।

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मिट्टी की सही जांच के बाद ही उचित मात्रा में खाद व कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है। इससे अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकेगा। जिस प्रकार कोई व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए दिमाग का इस्तेमाल करता हैए अपने व्यापार के बारे में गहन अध्ययन करता हैए जानकारी लेता है उसी के अनुरूप किसान को भी खेती के संबंध में अपनी पुरात्तन विचारधारा को बदलना होगाए अध्ययन करना होगा और कृषि वैज्ञानिकों से जानकारियां लेनी होगी।

उनके द्वारा लगाए जाने वाले सेमीनारों में भाग लेना होगा। सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी रखनी होगी। कृषि लागत को घटाने और अधिक पैदावार लेने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। किसान को कृषि व्यवसाय के साथ.साथ कृषि से संबंधित अन्य व्यवसायों को भी अपनाना होगा जैसे पशुपालनए डेयरीए मधु.मक्खी पालनए मशरूमए रेशम कीट उत्पादन इत्यादि। इन सभी उपायों पर अमल में लाकर ही खेती को लाभ का सौदा बनाया जा सकता है।

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