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Cotton Farming : कीटों के हमले के कारण कपास के रकबे में हरियाणा समेत 3 राज्यों में आई 31% की कमी

Due to pest attacks, cotton acreage in Haryana and two other states has decreased by 31%. Learn about the impact on production and measures taken by farmers.

कपास की फसल पर कीटों का प्रभाव

पिछले कुछ महीनों में कीटों के हमले के कारण पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की फसल के रकबे में भारी कमी आई है। इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड (आई.सी.ए.एल.) के अनुसार, इन तीन राज्यों में 2024-25 कपास विपणन सीजन के पहले चार महीनों में कच्चे कपास की आवक लगभग आधी हो गई है।

कपास की आवक में गिरावट

पिछले वर्ष 1 सितंबर से 31 दिसंबर, 2024 तक, इन 3 राज्यों में कपास की आवक कुल 16,92,796 गांठ थी, जबकि 2023-24 की इसी अवधि के दौरान 32,61,891 गांठ थी। चालू सीजन में कुल उत्पादन 30,79,600 गांठ होने का अनुमान है, जबकि 2023-24 में यह 49,96,438 गांठ था। यह 38% की कमी को दर्शाता है।

रकबे में कमी का कारण

इस गिरावट के पीछे का प्रमुख कारण कीटों के हमले हैं, जिससे फसल के क्षेत्रफल में 31% की कमी आई है। कुछ किसानों ने कीटों से बचने के लिए अन्य फसलों को प्राथमिकता दी है।

विभिन्न राज्यों में स्थिति

पंजाब

पंजाब में खेती का क्षेत्रफल घटकर 1 लाख हेक्टेयर से नीचे आ गया है। पिछले सीजन के दौरान चार महीनों में 2,34,765 गांठें थीं, जबकि इस सीजन में यह संख्या घटकर 78,843 गांठ रह गई है।

हरियाणा

हरियाणा में इस अवधि के दौरान 4,24,803 गांठों की आवक हुई, जबकि पिछले वर्ष 9,62,660 गांठों की आवक हुई थी। हरियाणा में फसल का क्षेत्रफल 2024-25 में 5.78 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.76 लाख हेक्टेयर हो गया है।

राजस्थान

राजस्थान में इस अवधि के दौरान 11,89,150 गांठ की आवक हुई, जबकि पिछले वर्ष 20,64,466 गांठ की आवक हुई थी। राजस्थान में फसल का क्षेत्रफल 2024-25 में घटकर 6.62 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि 2023-24 में यह 10.04 लाख हेक्टेयर था।

आंकड़े:

राज्य2023-24 (गांठ)2024-25 (गांठ)रकबे की कमी
पंजाब2,34,76578,84350%
हरियाणा9,62,6604,24,80338%
राजस्थान20,64,46611,89,15031%

कपास के रकबे में आई कमी का मुख्य कारण कीटों के हमले हैं। इससे बचने के लिए किसानों ने अन्य फसलों की ओर रुख किया है। इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को कीटों से बचाव के उपाय अपनाने की आवश्यकता है, जिससे उनकी फसल और मेहनत सुरक्षित रह सके।

 

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