गांव बकरियांवाली के दम्पति किसान को अमरुद के बाग ने किया मालामाल
जय नारायण साहरण ने रेतीली और बंजर जमीन में तीन साल पहले लगाया था अमरुद का बाग, अब हो रही तगड़ी कमाई
संदीप वर्मा
चोपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में रेतीली जमीन है तथा अन्तिम छोर पर पडऩे के कारण हमेशा सिंचाई के पानी की कमी रहती है। जब भी राजस्थान में सूखा या अकाल पड़ता है तो उसकी काली छाया इस क्षेत्र पर अवश्य पड़ती है। तब परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है। लेकिन गांव बकरियांवाली (सिरसा) के किसान जय नारायण साहरण ने हौसला हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा।
उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए वर्ष 2021 में साढ़े तीन एकड़ भूमि में हिसार सफेदा वैरायटी का अमरुद का बाग लगाया। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। अब 70 हजार रुपये प्रति एकड़ की कमाई होने लग गई है। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने जय नारायण साहरण को हरियाणा के साथ- साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गया।
सोशल मीडिया से मिली प्रेरणा के बाद बना औरों के लिए प्ररेणा स्रोत
जय नारायण साहरण ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। तभी सोशल मीडिया पर अमरुद के बाग देखे और तब से पति पत्नी दोनों ने पे्ररणा लेकर साढ़े तीन एकड़ जमीन में अमरुद का बाग लगाया। उन्होंने बातया की अमरूद के पौधों में जल्दी सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। जय नारायण ने बताया कि पिछले 2 साल में उन्होंने अपनी जमीन में अमरुद के पौधौ के साथ साथ मौसमी फसले गेंहू, सरसों, ग्वार बाजरा व कपास नरमें की खेती भी करता रहा।
इस बार अमरूद का फाल लेने के लिए अन्य फसलों की बुवाई नहीं की, जय नारायण साहरण ने बताया की सीजन का पहला फाल बहुत की अच्छा निकल रहा, जितना ही फाल निकल रहा गई उससे ज्यादा अमरुद के फल में मिठास भरा हुआ है। किसान जय नारायण का बाग़ गुड़िया खेड़ा के रकबा में पड़ता है इसलिए आसपास के गांव ढूकड़ा, बकरियांवाली, माधोसिंघाना, बरुवाली के लोग बाग को देखने के लिए आते है और अमरूद में मिठास देखकर खेत ही खरीदकर ले जाते है, जिससे जय नारायण साहरण को प्रति एकड़ 70 हजार रूपये की आमदनी हो रही है।
जय नारायण साहरण ने बताया कि सरकार के सहयोग से उसने खेत में एक पानी की डिग्गी भी बना ली है। उस डिग्गी में पानी इक्टठा करके रखता है जब भी सिचांई की जरूरत होती है, तभी अमरूद के पौधों व फसलों मे सिंचाई कर लेता है। वह सिंचाई ड्रिप सिस्टम द्वारा की जाती है , जिससे पानी व ,खाद व दवाई सीधे पौधों को मिल जाती है। तथा पानी बेकार नहीं जाता। आस पड़ोस के किसानों क ो जब भी सिंचाई के पानी की जरूरत नहीं होती तो वह उन किसानों से किराए पर पानी लेकर डिग्गी भर लेता है।