कृषि समाचार

गांव बकरियांवाली के दम्पति किसान को अमरुद के बाग ने किया मालामाल

The guava orchard made the farmer couple of Bakariyanwali village rich

गांव बकरियांवाली के दम्पति किसान को अमरुद के बाग ने किया मालामाल
जय नारायण साहरण ने रेतीली और बंजर जमीन में तीन साल  पहले लगाया था अमरुद का बाग, अब हो रही तगड़ी कमाई
संदीप वर्मा 

चोपटा (सिरसा) राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पैंतालिसा क्षेत्र में रेतीली जमीन है तथा अन्तिम छोर पर पडऩे के कारण हमेशा सिंचाई के पानी की कमी रहती है। जब भी राजस्थान में सूखा या अकाल पड़ता है तो उसकी काली छाया इस क्षेत्र पर अवश्य पड़ती है। तब परंपरागत खेती से आमदनी कम हो जाती है। और आर्थिक स्थिति डावांडोल हो जाती है। लेकिन गांव बकरियांवाली (सिरसा) के किसान जय नारायण साहरण ने हौसला हारने की बजाए कमाई का जरिया खोजा।

IMG 20241219 144223 1 scaled
उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए वर्ष 2021 में साढ़े तीन एकड़ भूमि में हिसार सफेदा वैरायटी का अमरुद का बाग लगाया। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। अब 70 हजार रुपये प्रति एकड़ की कमाई होने लग गई है। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने जय नारायण साहरण को हरियाणा के साथ- साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई। अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गया।
IMG 20241219 144252 1 scaled
 

सोशल मीडिया से मिली प्रेरणा के बाद बना औरों के लिए प्ररेणा स्रोत
जय नारायण साहरण ने बताया कि  रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी  के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। तभी सोशल मीडिया पर अमरुद के बाग देखे और तब से पति पत्नी दोनों ने पे्ररणा लेकर साढ़े तीन एकड़ जमीन में अमरुद का बाग लगाया। उन्होंने बातया की अमरूद के पौधों में जल्दी सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। जय नारायण ने बताया कि पिछले 2 साल में उन्होंने अपनी जमीन में अमरुद के पौधौ के साथ साथ मौसमी  फसले गेंहू, सरसों, ग्वार बाजरा व कपास नरमें की खेती भी करता रहा।

इस बार अमरूद का फाल लेने के लिए अन्य फसलों की बुवाई नहीं की, जय नारायण साहरण ने बताया की सीजन का पहला फाल बहुत की अच्छा निकल रहा, जितना ही फाल निकल रहा गई उससे ज्यादा अमरुद के फल में मिठास भरा हुआ है। किसान जय नारायण का बाग़ गुड़िया खेड़ा के रकबा में पड़ता है इसलिए आसपास के गांव ढूकड़ा, बकरियांवाली, माधोसिंघाना, बरुवाली के लोग बाग को देखने के लिए आते है और अमरूद में मिठास देखकर खेत ही खरीदकर ले जाते है, जिससे जय नारायण साहरण को प्रति एकड़ 70 हजार रूपये की आमदनी हो रही है।
IMG 20241219 144221 1 scaled
 पानी की डिग्गी  से कर रहा जल की बचत
जय नारायण साहरण ने बताया कि सरकार के सहयोग से उसने खेत में एक पानी की डिग्गी भी बना ली है। उस डिग्गी में पानी इक्टठा करके रखता है जब भी सिचांई की जरूरत होती है, तभी अमरूद के पौधों व फसलों मे सिंचाई कर लेता है। वह सिंचाई ड्रिप सिस्टम द्वारा की जाती है , जिससे पानी व ,खाद व दवाई सीधे  पौधों  को मिल जाती है। तथा पानी बेकार नहीं जाता। आस पड़ोस के किसानों क ो जब भी सिंचाई के पानी की जरूरत नहीं होती तो वह उन किसानों से किराए पर पानी लेकर डिग्गी भर लेता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button