कृषि समाचारब्रेकिंग न्यूज़

Flower farming: हल्दी और गन्ना जैसी महंगी खेती छोड़ गेंदे की खेती करता है ये गांव, कमाई जानेंगे तो आपके भी उड़ जाएंगे होश

करीब 200 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती होती है, जिससे किसानों को गन्ने और हल्दी से होने वाली आमदनी से कहीं अधिक लाभ हो रहा है।

Flower farming: हल्दी और गन्ना जैसी महंगी खेती छोड़ गेंदे की खेती करता है ये गांव, कमाई जानेंगे तो आपके भी उड़ जाएंगे होश

महाराष्ट्र के सतारा जिले में बसे छोटे से गांव निकमवाड़ी में जहां कभी गन्ने और हल्दी की फसलें होती थीं, आज वहां गुलदाउदी और गेंदे के रंग-बिरंगे फूलों के खेत लहराते हैं। इस परिवर्तन ने न केवल गांव की पहचान बदल दी है, बल्कि इसकी आर्थिक स्थिति को भी काफी मजबूत किया है।

फूलों की खेती

Genda Phool Ki Kheti Marigold Flower Farming

निकमवाड़ी गांव की इस बदलाव की कहानी 2005 से शुरू होती है, जब कुछ किसानों ने एक कृषि अधिकारी की सलाह पर गन्ने की फसल छोड़कर फूलों की खेती शुरू की। धर्मराज गणपत देवकर, जो अब 60 वर्ष के हैं, ने इस बदलाव की शुरुआत की थी। आज, गांव के 170 से अधिक घरों में से लगभग हर घर में फूलों की खेती की जा रही है। करीब 200 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती होती है, जिससे किसानों को गन्ने और हल्दी से होने वाली आमदनी से कहीं अधिक लाभ हो रहा है।

निकमवाड़ी और इसके आस-पास के गांवों में कई किस्मों के फूल उगाए जाते हैं, जिनमें ‘पूर्णिमा व्हाइट’, ‘ऐश्वर्या येलो’ और ‘पूजा पर्पल’ जैसी संकर गुलदाउदी और ‘पीताम्बर येलो’, ‘बॉल’ और ‘कलकत्ता येलो’ जैसी गेंदा की किस्में शामिल हैं। गुलदाउदी की खेती सर्दियों में होती है, जबकि गेंदा वर्ष भर उगाया जाता है। इन फूलों की भारी मांग के कारण किसान रोजाना 12 टन फूल पुणे के गुलटेकड़ी बाजार में भेजते हैं, जहां से ये पूरे राज्य और देशभर में पहुंचाए जाते हैं।

पानी की कमी से निपटने के उपाय

निकमवाड़ी के किसान ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करते हैं, जो पानी की अधिक खपत वाली गन्ने की फसल की तुलना में अधिक लाभकारी है। किसान बावड़ियों से पानी प्राप्त करते हैं, जो कृष्णा नदी से आने वाली नहरों से भरती हैं। इस तरह की सिंचाई पद्धति से पानी की बचत होती है।

फूलों के बाज़ार में उतार-चढ़ाव
फूलों की खेती से जुड़े किसानों को बाजार में फूलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सामना भी करना पड़ता है। गुलाब और जरबेरा जैसे फूल प्रीमियम कीमतों पर बिकते हैं, जबकि गेंदा और गुलदाउदी की कीमत अपेक्षाकृत कम होती है। इसके बावजूद, फूलों की भारी मात्रा के कारण निकमवाड़ी के किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। यहां के किसान गुलदाउदी से लगभग प्रति एकड़ ढाई लाख रुपए का मुनाफा हासिल कर लेते हैं और इसके साथ ही गेंदे की खेती से उन्हें प्रति एकड़ में ₹2 लाख का फायदा हो रहा है। इतना ही नहीं ये सालाना करीब 20 लाख रुपए के गेंदे के पौधे बेच देते हैं जिनसे उन्हें एक्स्ट्रा कमाई होती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button