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दक्षिण भारत के साथ-साथ पूर्वी भारत में भी किसान आंदोलन-2 के लिए होगी किसान सभाएं: एसकेएम (गैर-राजनीतिक)

दक्षिण भारत के साथ-साथ पूर्वी भारत में भी किसान आंदोलन-2 के लिए होगी किसान सभाएं: एसकेएम (गैर-राजनीतिक)

खेत खजाना: सिरसा। भारतीय किसान एकता बीकेई के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने जानकारी देते हुए बताया कि कर्नाटक के टुमकूर जिले में किसान नेता जगजीत सिंह डलेवाल के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के आगामी कार्यक्रमों को लेकर दक्षिण भारत के संगठनों की मीटिंग हुई। इस में मुख्य तौर पर कुर्बुरु शांताकुमार (कर्नाटक), सुखजीत सिंह, हरसुलिन्दर सिंह (पंजाब), लखविंदर सिंह औलख, अभिमन्यु कोहाड़, जफर खान (हरियाणा) पी आर पांड्यन व केएम रामागौंडर (तमिलनाडु), वेंकेटेश्वर राव (तेलंगाना), के वी बीजू (केरल) आदि किसान नेताओं ने भाग लिया और अपने विचार रखे। किसान आंदोलन-2 को और मजबूती देने व देशव्यापी बनाने के लिए चल रहे कार्यक्रमों में 26 जून को बेंगलुरु में प्रेस कांफ्रेंस होगी।

26 जून शाम को बेंगलुरु में खेती-बाड़ी विशेषज्ञों के साथ विचार चर्चा होगी। 27 जून को आंध्र प्रदेश के हिंदूपुर में किसान सम्मेलन होगा, 28 जून को हैदराबाद में मीटिंग होगी व प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। उसके बाद एसकेएम गैर-राजनीतिक का प्रतिनिधिमंडल पूर्वी भारत के उड़ीसा, बिहार सहित कई राज्यों में किसान सम्मेलन व प्रेस कांफ्रेंस करेगा। किसान नेताओं ने कहा कि आगामी 8 जुलाई को देशभर में सभी सांसदों (भाजपा को छोडक़र) को मांगपत्र दिया जाएगा और एमएसपी गारंटी कानून का मुद्दा संसद में उठाने की मांग की जाएगी।

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किसान नेताओं ने रविवार को शम्भू बॉर्डर पर भाजपा के असामाजिक तत्वों द्वारा किसानों की स्टेज पर किये गए हमले की कड़ी निंदा की और सरकार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द उन असामाजिक तत्वों के खिलाफ  कारवाई नहीं की तो दोनों मोर्चे बड़ा कदम उठाने को मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की होगी। किसान नेताओं ने तय किया कि सितंबर के पहले सप्ताह में जो राष्ट्रीय स्तर की पंचायत हरियाणा में होगी, उस पंचायत में दक्षिण भारत से भी हजारों की संख्या में किसान भाग लेंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि किसानों की नाराजगी के कारण भाजपा को लोकसभा चुनाव में ग्रामीण इलाकों में भारी नुक्सान उठाना पड़ा है और अब भी एनडीए सरकार अपनी किसान-विरोधी नीतियों में कोई बदलाव नहीं कर रही है। सम्मेलन में मौजूद किसान नेताओं व सभी किसानों ने संकल्प लिया कि जब तक एमएसपी गारन्टी कानून नहीं बनेगा, तब तक किसान आंदोलन मजबूती से जारी रहेगा।

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