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Lentil Farming : सर्दियों में मसूर दाल की खेती बना देगी लखपति, 110 दिनों में होगी तैयार
Learn about profitable lentil farming in winter with low investment and high returns. Understand the cultivation process, soil requirements, and earning potential.
Lentil Farming मसूर दाल की खेती का महत्व
सर्दियों के दिनों में मसूर दाल की खेती बहुत लाभकारी होती है। इसकी डिमांड बाजार में खूब रहती है और यह खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होती है। आइए, जानते हैं मसूर दाल की खेती कैसे की जाती है और इससे होने वाली आमदनी के बारे में।
मसूर दाल की खेती
मिट्टी और जुताई
मसूर दाल की खेती के लिए जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसकी बुवाई से पहले बीजों को उपचार करना चाहिए। बीज उपचार के लिए 2 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।
बुवाई और सिंचाई
- एक एकड़ में बुआई के लिए 35-40 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं।
- बुआई के चार हफ़्ते बाद एक बार सिंचाई करें और दूसरी बार फूल निकलने के समय सिंचाई करें।
- बुवाई के बाद मसूर की फसल करीब 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
मसूर दाल से होने वाली कमाई
मसूर दाल की खेती से बहुत ज्यादा कमाई होती है, क्योंकि इसकी डिमांड मार्केट में बहुत होती है। मार्केट में मसूर दाल की कीमत करीब ₹100 से ₹110 प्रति किलो तक होती है।
आमदनी का अनुमान
विवरण | अनुमानित कमाई (₹) |
---|---|
प्रति किलो मसूर दाल की कीमत | ₹100 – ₹110 |
प्रति एकड़ पैदावार | 12 – 15 क्विंटल |
कुल कमाई | ₹1.5 – ₹2.5 लाख |
महत्वपूर्ण बातें:
पहलू | विवरण |
---|---|
फसल का नाम | मसूर दाल |
मिट्टी | जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी |
बुवाई का समय | सर्दियों के दिन |
पैदावार | 12 – 15 क्विंटल प्रति एकड़ |
कमाई | ₹1.5 – ₹2.5 लाख प्रति एकड़ |
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।