कृषि समाचार

किसान मक्के की बेहतर पैदावार के लिए यूरिया, पोटाश और मिक्सचर का संयोजन कर रहे हैं, जानें इसका प्रभाव

Farmers are combining urea, potash and mixture for better yield of maize, know its effect

खेत खजाना : गोपालगंज जिले के किसानों के लिए रबी सीजन में मक्का एक महत्वपूर्ण फसल बन चुकी है, और अब यह फसल एक फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुकी है। इस समय में मक्के की सिंचाई और खाद का उपयोग फसल की गुणवत्ता और उपज को बेहतर बनाने के लिए बेहद जरूरी होता है। किसान अपने अनुभव और विशेषज्ञों की सलाह पर खाद का सही संयोजन कर रहे हैं, जिससे मक्के की पैदावार में सुधार हो सके।

इस समय में खासतौर पर तीन खादों का मिश्रण—यूरिया, पोटाश, और मिक्सचर—खेतों में डाला जा रहा है, जो किसानों का मानना है कि मक्के के दाने को मजबूत और भारी बनाएगा।
पैदावार बढ़ाने का सही बेहतर तरीका
गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड के तुलाछापर, अहिरौली और झरही नदी के किनारे स्थित गांवों के किसान मक्के की उपज को बेहतर बनाने के लिए तीन खादों का मिश्रण इस्तेमाल कर रहे हैं। किसान लालबाबू सिंह ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से इसी विधि का पालन कर रहे हैं और हर बार इसका असर देखा है।

यूरिया, पोटाश और मिक्सचर का सही अनुपात मक्के की फसल को बेहतर पोषण देता है, जिससे दाना सख्त और भरपूर होता है। किसानों का यह मानना है कि इन तीन खादों का मिश्रण मक्के की पौधों के स्वास्थ्य को मजबूत करता है और अच्छे दाने का उत्पादन होता है।

खाद डालने का सही तरीका और समय
लालबाबू सिंह ने बताया कि मक्के की बुवाई के समय भी खेतों में खाद डाला गया था, ताकि पौधों की जड़ें मजबूती से बढ़ सकें। इसके बाद जब मक्का एक फीट ऊंचाई तक पहुंच गया, तो दूसरी बार खाद डाली गई है। इस समय सिंचाई भी की गई है, ताकि पौधों को पर्याप्त पानी मिल सके।

उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में मक्के की फसल में तीन बार और सिंचाई की जाएगी, लेकिन अगली बार केवल यूरिया डाला जाएगा। यूरिया को मक्के के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण खाद माना जाता है, जो पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करता है।

बीजों का चयन और समय पर देखभाल
लालबाबू सिंह के अनुसार, मक्के की फसल की सफलता का मुख्य कारण केवल खाद और पानी नहीं है, बल्कि बीजों का सही चयन और समय पर देखभाल भी है। उन्होंने कहा कि बीजों का चयन करते समय वे कृषि वैज्ञानिकों से राय लेते हैं और अनुभवी किसानों से भी सलाह लेते हैं। इस रणनीति ने उन्हें पिछले वर्षों में बेहतर उपज दिलवाई है।

खेतों में बीज डालने से पहले सही किस्म के बीज का चयन फसल की सफलता के लिए अहम होता है। यदि सही बीजों का चुनाव किया जाए, तो फसल में रोग और कीटों की समस्या कम होती है और पैदावार बेहतर होती है।

समय पर पानी का देना होता है ध्यान
समय पर सिंचाई मक्के की फसल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। खासकर जब पौधा थोड़ी ऊंचाई तक पहुंच जाए तो सिंचाई से उसकी वृद्धि में सहायता मिलती है। इसके अलावा, सिंचाई से पौधों की जड़ें गहरी होती हैं और यह मक्के के दाने को भरपूर बनाता है।

किसान लालबाबू सिंह ने कहा कि सिंचाई का काम बहुत ध्यानपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि अधिक पानी या कम पानी दोनों ही फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, उन्हें अपने अनुभव के आधार पर समय पर और उचित मात्रा में पानी देना जरूरी लगता है।

फसल में वृद्धि के लिए स्थानीय उपाय और अनुभव
गोपालगंज के किसानों का मानना है कि स्थानीय अनुभव और कृषि वैज्ञानिकों की सलाह दोनों का सही मिश्रण मक्के की पैदावार में वृद्धि करने के लिए आवश्यक है। उनका कहना है कि स्थानीय कृषि विशेषज्ञ और अन्य अनुभवी किसान जो तकनीकी जानकारियों से भरे होते हैं, उनके अनुभव से फसल के बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

लालबाबू सिंह जैसे किसान भी अपने खेतों में लगातार नई तकनीकों को अपनाते हैं और उनका विश्वास है कि कृषि के क्षेत्र में हर वर्ष कुछ नया सीखने की जरूरत होती है। यही कारण है कि हर साल उनकी मक्का फसल बेहतर होती जा रही है।

मक्के की फसल को बेहतर बनाने के उपाय
यदि आप भी मक्के की फसल उगाना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपायों को अपनाकर आप अपनी पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं:

खाद का मिश्रण: यूरिया, पोटाश और मिक्सचर का सही अनुपात डालें ताकि पौधों को सही पोषण मिल सके।
सिंचाई का समय: मक्के की फसल को समय पर सिंचाई करें, जिससे दाने का आकार और गुणवत्ता बेहतर हो।
बीज का चयन: अच्छा और रोग मुक्त बीज चुनें और कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लें।
समय पर देखभाल: फसल की देखभाल के लिए समय पर खाद और पानी देना जरूरी है।

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