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Mustard farming : लाही कीट से सरसों की फसल हो रही खराब, किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

सरसों की खेती में लाही कीट से बचाव के महत्वपूर्ण उपाय जानें। जानें कैसे सरसों की फसल को लाही कीट और आरा मक्खी कीट से बचाया जा सकता है।

Mustard farming : लाही कीट से सरसों की फसल हो रही खराब, किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

नई दिल्ली, 15 जनवरी 2025

Mustard farming : सरसों की खेती (Mustard Farming) उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर की जाती है। यह रबी की प्रमुख तिलहन फसल है। इस समय सरसों की फसल खेतों में लहलहा रही है और किसान अच्छी पैदावार की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन कुछ जगहों पर लाही कीट (Aphid) के प्रकोप से किसानों की इस उम्मीद पर पानी फिरता दिख रहा है।

लाही कीट का प्रभाव

लाही कीट सरसों की पत्तियों और फूलों को धीरे-धीरे चट कर देते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनका विकास रुक जाता है। इस कारण फसल का उत्पादन काफी कम हो जाता है।

लाही कीट क्या है?

लाही कीट छोटे भूरे या काले रंग के होते हैं। यह कीट सरसों की फसल को तब सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं, जब सरसों में फूल और फली बननी शुरू होती है। इन कीटों का आक्रमण आमतौर से मध्य दिसंबर के बाद शुरू होता है और जनवरी-फरवरी में इनकी संख्या काफी बढ़ जाती है।

लाही कीट से बचाव के उपाय

  1. डाईथम 45 और एंटीबायोटिक: इमिडाक्लोप्रिड 1 एमएल को तीन लीटर पानी में मिलाकर सरसों की फसल पर छिड़काव करें।
  2. क्लोरोपायरीफॉस 20%: 200 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।
  3. मेटा सिस्टोक: 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
  4. पीली स्टिकी ट्रैप: लाही के कीटों को आकर्षित कर फंसाने के लिए प्रति एकड़ खेत में 5-6 पीली स्टिकी ट्रैप लगाएं।
  5. खरपतवार हटाना: खेत में खरपतवार को समय-समय पर हटाएं, ताकि लाही कीट को शरण न मिल सके।
  6. नीम का तेल: 10 हजार ppm का नीम का तेल लेकर प्रति एक लीटर पानी के हिसाब से एक शैंपू डालकर सरसों की फसल पर छिड़काव करें।

आरा मक्खी कीट से बचाव

सरसों की फसल पर आरा मक्खी कीट (Sawfly) का भी प्रकोप हो सकता है। यह कीट सरसों की पत्तियों को खाकर उनमें छेद कर देते हैं। इससे बचाव के लिए फसल की सिंचाई करें और मैलाथियान 50 ईसी @ 400 मिली/एकड़ दवा का छिड़काव करें।

सरसों की खेती के महत्वपूर्ण टिप्स

  • बुआई का सही समय: 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच बुआई करें।
  • भुरभुरी मिट्टी: सरसों की बुआई के लिए भुरभुरी मिट्टी का प्रयोग करें।
  • जुताई के समय: क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से खेत में मिलाएं।
  • डीएपी नाइट्रोजन: प्रति कट्ठा 1 किलो डीएपी नाइट्रोजन पांच सौ ग्राम लाल पोटाश और दो सौ पचास ग्राम सल्फर का प्रयोग करें।
  • कतारों में बुवाई: सरसों की बुवाई कतारों में करें और पहली सिंचाई 40 दिन के बीच करें।

 

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