इस बार 55 हजार हेक्टेयर में सरसों की बिजाई, किसान सिंचाई पर दें विशेष ध्यान
सिरसा जिले में किसानों ने इस बार करीबन 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बिजाई की हुई है। सरसों की बिजाई के बाद अधिक उत्पादन लेने के लिए सिंचाई समय पर करना बहुत ही जरूरी है। अन्य फसलों की तरह सरसों में भी पानी की जरूरत होती है। समय पर सिंचाई करके ही अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। बस ध्यान इस बात का रखना है कि सरसों की फसल में कितनी बार और कब-कब सिंचाई करनी है।
सिंचाई करते समय पानी की मात्रा का भी ध्यान रखना आवश्यक नहीं तो सरसों की फसल खराब हो सकती है। यदि फसल को सिंचाई की कमी महसूस हो तो चार सिंचाई करनी चाहिए। इसमें पहली सिंचाई बुआई के वक्त, दूसरी सिंचाई शाखाएं बनने के वक्त, तीसरी सिंचाई फूल आने के समय और चौथी सिंचाई फली बनते समय
किसान करें।
कृषि विकास अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने बताया कि दिन के हिसाब से देखें तो पहली सिंचाई बुआई के साथ, दूसरी सिंचाई बुआई के 25-30 दिन बाद, तीसरी सिंचाई बुआई के 45-50 दिन बाद और अंतिम सिंचाई बुआई के 70-80 दिन बाद करनी चाहिए। अगर पानी की कमी हो तो किसान सरसों में पांचवीं
सिंचाई भी कर सकते हैं। अगर पानी उपलब्ध हो तो एक सिंचाई दाना पकते समय करनी चाहिए। यह सिंचाई बुआई के 100-110 दिन बाद करनी लाभदायक होती है।
फव्वारा विधि से होती है पानी की बचत
किसान को सरसों की सिचाई फव्वारा विधि से करनी चाहिए। इस विधि से पानी की खपत कम होती है और फसलों को बराबर पानी मिलता है। इससे फसल की बढ़वार अच्छी तरीके से हो पाती है। दाने भी बड़े और मोटे बनते हैं।
सरसों में रोग के कारण फसल हो सकती है खराब
सरसों की फसल को कीटों से बहुत नुकसान पहुंचता है। इसी में एक है पेंटेड बग और आरा मक्खी, यह कीट फसल को अंकुरण के सात से दस दिनों में अधिक हानि पहुंचाता है। यह कीट फसल को पूरी तरह से चौपट कर देता है। किसान इस कीट की रोकथाम के लिए एंडोसल्फान चार प्रतिशत या मिथाइल पैराथियोन दो प्रतिशत चूर्ण की 20 से 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। इससे सरसों को पेंटेड बग और आरा मक्खी से सुरक्षा मिलती है।