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ग्वार की बिजाई के लिए 10 से 25 जून का समय बेहतर है, जाने ग्वार की खेती के लिए क्या कहते है कृषि विशेषज्ञ ?

ग्वार की बिजाई के लिए 10 से 25 जून का समय बेहतर है, जाने ग्वार की खेती के लिए क्या कहते है कृषि विशेषज्ञ ?

खेत खजाना : सिरसा। खरीफ  सीजन को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में ग्वार की अधिक बिजाई करके तथा उत्पादकता बढ़ाने के मकसद से सिरसा जिले के खण्ड नाथूसरी चौपटा के गांव बरासरी में ग्वार फसल पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें किसानों को सही समय पर बिजाई, बीजोपचार, संतुलित खाद का प्रयोग व अनावष्यक खरपतवारनाशक दवाई के प्रयोग न करने पर जानकारी दी।

यह शिविर कृषि विभाग नाथूसरी चौपटा के एटीएम डॉ. मदन सिंह के तत्वावधान में ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव के साथ मिलकर ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. मदन सिंह ने किसानों को सलाह दी किसी भी फसल की बिजाई से पहिले अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवाएं तथा खाद का उपयोग मिट्टी की जांच के आधार पर करें। इसके साथ-साथ उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाने व इसको बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया।

गोष्ठी में ग्वार विषेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव को किसानों से रूबरू होने पर पता चला कि इस गांव के किसानों के अनुसार जडग़लन रोग ग्वार फसल में 40 से 60 प्रतिशत तक आ जाता है, जिससे किसानों को जानकारी के अभाव में काफी नुकसान उठना पड़ रहा है। गांव के किसी भी किसान को इस बीमारी की रोकथाम के बारें में कोई भी जानकारी नहीं है। इसलिए इस तरह की ट्रेनिंग का आयोजन करना किसान के ज्यादा हित में है।

कैसे करें बीज का उपचार:
ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव ने जडग़लन रोग की रोकथाम व इसके इलाज अपनाने पर किसानों पर जोर दिया। इस बीमारी की रोकथाम के लिए 3 ग्राम कार्बन्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रतिकिलो बीज की दर से सुखा उपचारित करने के बाद ही बिजाई करनी चाहिए। ऐसा करने से 80 से 95 प्रतिशत इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। जडग़लन रोग का इलाज मात्र 15 रूपये बीज उपचार से संभव है। ऐसा करने से करीबन 1.0-1.5 क्ंिवटल प्रति एकड़ ग्वार की पैदावार बढ़ जाती है।

कौनसी किस्में बीजें:
ग्वार विशेषज्ञ ने किसानों को उन्नतशील किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 की बिजाई करने की सलाह दी। ये किस्में 85 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती। अत: किसानों को सलाह दी जाती है कि ग्वार कि किस्म एचजी 2-20 की बिजाई 10 से 20 जून के बीच में पूरी कर लें क्योंकि यह पकने में 10-15 दिन अधिक समय लेती है। इसके साथ-साथ किसानों को सलाह दी जाती है कि किस्म एचजी 2-20 हल्की जमीन में न लगाएं। किस्म एचजी 365 व एचजी 563 किस्म की बिजाई 10 से 30 जून के बीच में कभी भी कर सकते हैं।

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बिजाई का उचित समय:
बीटी नरमा की बिजाई इस क्षेत्र में पूरी हो गई है। जिस किसान के पास नहर का फालतू पानी उपलब्ध है तो ग्वार की बिजाई मानसून की बारिश आने से पहले कुछ रकबे में पानी लगाकर रिस्क को कम करने के लिए पलेवा करके अब बिजाई शुरू कर सकते हैं अब ग्वार की बिजाई का उचित समय आ गया है। बारिश पर आधारित बिजाई मानसून की अच्छी बारिश आने पर करें।
संतुलित खाद का प्रयोग:
ग्वार विशेषज्ञ ने किसानों से आग्रह किया अच्छी पैदावार लेने के लिए 100 किलो सिंगल सुपरफास्फेट तथा 15 किलो यूरिया या 35 किलो डीएपी प्रति एकड़ के हिसाब से बिजाई के समय डालने के लिए सलाह दी। ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव ने बताया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपने खेत में गोबर की खाद अवश्य डालें इससे जमीन की उर्वराशक्ति बनी रहेगी।

इस अवसर पर शिविर में 86 मौजूद किसानों को बीज उपचार के लिए दो एकड़ की वेबिस्टिन दवाई, एक मास्क तथा एक जोड़ी दस्ताने हिन्दुस्तान गम् एण्ड कैमिकल्स भिवानी की तरफ  से मुफ्त दी गई। इस प्रोग्राम को आयोजित करने में गांव के सरपंच अमर सिंह रोज व प्रगतिशील किसान जयवीर सिंह का विशेष योगदान रहा। इसके अलावा संदीप, राजकुमार, मान सिंह, शलेन्द्रर, कुलदीप, सुरेश, संजय आदि किसान मौजूद थे।

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