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अच्छी बारिश के बाद बीटी कपास में यूरिया का छिड़काव करें, देसी कपास में खाद की जरुरत नहीं

कपास में यूरिया का छिड़काव करें

किसानों को सलाह बारिश के बाद कपास में गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी, हरा चेपा का हो सकता है प्रकोप

हिसार : मानसून ने दस्तक दे दी है। बारिश के बाद कपास की फसल में गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी, हरा चेपा का प्रकोप हो सकता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि अच्छी बरसात के बाद बीटी कपास में 1 बैग यूरिया का प्रति एकड़ छिड़काव किया जाना चाहिए। बिजाई के समय डीएपी नहीं डाला है तो अब अच्छी बरसात के बाद उसमें डीएपी डालें। देसी कपास में खाद की जरूरत नहीं हैं।

बरसात या पानी लगाने के बाद कपास में निराई गुड़ाई अवश्य करें। बरसात हो तो कपास में से पानी की निकासी का प्रबंध करें। उन्होंने बताया कि जुलाई में कपास की फसल में थ्रिप्स/चुरड़ा का प्रकोप होता हैं। 60 दिनों से कम अवधि की फसल में यदि 30 थ्रिप्स प्रति 3 पत्ता मिले तो नीम आधारित कीटनाशक का प्रयोग करें।

कीट प्रबंधनः कपास विभाग ग के वैज्ञानिक डॉक्टर कर्मल सिंह मलिक ने बताया कि नीम आधारित कीटनाशक नीम्बीसिडीन या अचुक की 5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। फसल में 100 फूलों का गुलाबी सुंडी के लिए निरीक्षण करें। टिंडे बनने के बाद गुलाबी सुंडी ज्यादातर टिंडों में पाई जाती है।।

एकड़ से 20-25 टिंडे 12-15 दिन पुराने तोड़कर टिंडो को फाड़कर निरीक्षण करें। फसल 60 दिनों के होने के बाद तथा गुलाबी सुंडी का प्रकोप फलीय भागों फूल एवं टिंडों पर 5-10% होने पर 1 छिड़काव प्रोफेनोफोस क्यूराक्रोन/सेल्क्रोन/कैरिना 50 ईसी की 3 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से करें। अगला छिड़काव जरुरत पड़ने पर क्यूनालफास 20 एएफ की 4 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से 12-15 दिनों बाद करें।

जड़ गलन बीमारी से बचाव को काबेंडाजिम का घोल पौधों में डालें
एचएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ एस के पाहुजा ने बताया कि जड़ गलन बीमारी से सूखे हुए पौधों को खेत में से उखाड़ कर जमीन में दबा दें। प्रभावित पौधों के आसपास स्वस्थ पौधों में 1 मीटर तक काबेंडाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर 400-500 मिलीलीटर प्रति पौधों की जड़ों में डालें। किसान पीठ वाले स्प्रे पंप का प्रयोग करते समय मोटे फव्वारे का प्रयोग करके जड़ों के पास फंफूदनाशक घोल को डालें।

सफेद मक्खी से बचाव को फ्लॉनिकामिड़ उलाला का छिड़काव करें
जुलाई माह में कपास की फसल में सफेद मक्खी व हरा तेला का भी प्रकोप शुरू हो जाता हैं। सफेद मक्खी यदि 6-8 प्रौढ़ प्रत्ति पत्ता एवं हरा तेला 2 शिशु प्रति पत्ता मिलते हैं तो फ्लॉनिकामिड़ उलाला 50 डब्लूजी की 60 ग्राम मात्रा प्रति 200 लीटर पानी की दर से एक छिड़काव करें। कपास की शुरुआती अवस्था में ज्यादा जहरीले कीटनाशकों एवं कीटनाशकों के टैंक मिश्रण का प्रयोग ना करें ऐसा करने से मित्र कीटों की संख्या कम हो जाती है।

 

 

 

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