केले की खेती: हरियाणा के किसान सुरेंद्र सिंह की प्रेरणादायक कहानी
हरियाणा के किसान सुरेंद्र सिंह ने केले की खेती से पारंपरिक खेती को नया आयाम दिया। जानें उनकी मेहनत और नवाचार की प्रेरणादायक कहानी।
शुरू से पारंपरिक खेती को हटकर कुछ ओर करने का जज्वा था। इसकी शुरुआत 10 साल पहले गन्ना की खेती से हुई। गन्ने की पैदावार ली और आय वढ़ना शुरू हुई, तव कुछ और करने की ठानी। महाराष्ट्र गए। हरियाणा के किसानों से मिले। एवचाग्यू में भी केले की खेती देखी और इसके वारे में पूरी जानकारी ली।
आस्विर महाराष्ट्र से पौध लाकर अपने खेत में केले की खेती को शुरू किया। अब यह केले के पौधे चार फीट तक के हो गए हैं। अव आगामी सीजन में इनके फलों क इंतजार हैं। यह कहानी है गांव मंगाली मोहव्वत निवासी किसान सुरेंद्र सिंह की। उनका मानना है कि खेती को सही ढंग से करना वहुत जरूरी है। यह भूमि हमारी धरती मां है। पूरी लग्ग और मेहनत के साथ कुछ भी करने की कोशिश करेंगे तो यह हमारा पूरा साथ देगी। इसी से पैदा होने वाले अन्न से हमारा पेट तो भरता ही है. साथ में घर भी चलाती है।
साल में एक बार मिलता है फल यह केला का पौधा अगस्त में लगता है और अगले साल इसी माह में फल आता है। एक एकड़ पर 1250 प्लांट लगाने पर करीब 40 से 50 हजार रुपये लागत है। 10 से 12 फीट तक पौधे की हाइट होती है और एक पौधा साल में एक बार फल देता है।
केले की खेती के फायदे और लागत
केले की खेती में लागत और मुनाफा दोनों आकर्षक हैं। एक एकड़ खेत में 1250 पौधे लगाने पर लगभग ₹40,000-₹50,000 का खर्च आता है। केले का पौधा अगस्त में लगाया जाता है और अगले साल इसी महीने में फल देने लगता है।
खेती का विवरण | जानकारी |
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पौधों की संख्या प्रति एकड़ | 1250 पौधे |
लागत | ₹40,000-₹50,000 |
पौधे की ऊंचाई | 10-12 फीट |
पैदावार प्रति एकड़ | 350-400 क्विंटल |
संभावित आय | ₹4-₹5 लाख प्रति एकड़ |
खेती का सही प्रबंधन
सुरेंद्र सिंह ने खेती के सही प्रबंधन को प्राथमिकता दी। उन्होंने बताया कि वह 12वीं तक पढ़े हैं और पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं और नरमा की खेती से शुरुआत की थी। धीरे-धीरे उन्होंने गन्ना और अब केला जैसी नकदी फसलों की ओर रुख किया।
सुरेंद्र ने केले की खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है। उन्होंने ड्रिप इरिगेशन और उर्वरकों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित किया, जिससे पौधों को पर्याप्त पोषण मिला।
खेती का सही से प्रबंधन किया सुरेंद्र ने बताया कि वह 12वीं तक पढ़े- लिखे हैं। पहले पिता रात पारंपरिक खेती ही करते थे। जैसे गेहूं, नरमा आदि। उन्होंने 10 साल पहले खेती शुरू की तो गेहूं के बजाय गन्ना लगाना शुरू किया। अब केला लगाया है। अब खेती का सही से प्रबंधन कर लिया है।
एक एकड़ जमीन से 350 से 400 क्विंटल तक केले की पैदावार
सुरेंद्र महाराष्ट्र के जलगांव में जैन इरिगेशन प्लाट में गए थे, वहां पर केले की खेती के बारे में जाना। पता चला कि हरियाणा में भी केला होता है। नरवाना क्षेत्र में एक किसान तीन से चार साल से खेती कर रहा है। एचएयू में भी केले की खेती देखी। चार माह पहले वहां से केले के पौधे लाकर लगाए थे, अब चार फीट तक हो गए हैं। उस समय आधा फीट की पौध थी। एक एकड़ से 350 से 400 क्विंटल तक केला की पैदावार होती है। एक तरह से चार से पांच लाख रुपये तक का केला होता है। हिसार मंडी में विक जाएगा, क्योंकि यहां केला साउथ से ही आता है।