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Cotton crop: कृषि वैज्ञानिकों की चेतावनी- कपास की खेती पर मंडरा रहा बड़ा संकट, किसानों की बढ़ी मुश्किलें, गुलाबी सुंडी ने मचाया कहर

Cotton crop; कृषि वैज्ञानिकों की चेतावनी- कपास की खेती पर मंडरा रहा बड़ा संकट, किसानों की बढ़ी मुश्किलें, गुलाबी सुंडी ने मचाया कहर

भारत में कपास की खेती को इस समय एक गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसका प्रमुख कारण कीटों के हमले हैं। पिछले वर्ष की तुलना में कपास की खेती में लगभग 10 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। यह कमी मुख्य रूप से कपास पर लगने वाले कीटों की संख्या में बढ़ोतरी और उनसे निपटने में किसानों की असमर्थता के कारण हो रही है। खरीफ सीजन के दौरान, अधिकांश बुआई पूरी हो चुकी है। लेकिन इस वर्ष कपास की खेती का क्षेत्र सामान्य लक्ष्य (1.29 करोड़ हेक्टेयर) से 10 लाख हेक्टेयर पीछे रह गया है। उत्तरी भारत के पंजाब, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में कपास की खेती के क्षेत्र में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। इन राज्यों में गुलाबी बॉलवर्म कीट के हमलों के कारण कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ है।

Pink bollworm punjab

गुलाबी बॉलवर्म का कहर

गुलाबी बॉलवर्म एक प्रमुख कीट है, जो कपास की फसल के हिस्सों जैसे चौकोर (फूल की कली) और बोल (कपास के रेशों के साथ बीज की गोल थैली) को नुकसान पहुंचाता है। किसानों के लिए यह कीट एक बड़ा संकट बन गया है, क्योंकि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर भारी असर पड़ रहा है पंजाब के फरीदकोट जिले के किसान मनप्रीत सिंह ने इस बारे में बताया, “कपास की खेती में कीटों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मीली बग से शुरू हुआ संकट अब गुलाबी बॉलवर्म और सफेद मक्खी जैसे कीटों तक पहुंच गया है। इस बार मैंने कोई जोखिम नहीं उठाया और पूरी जमीन पर धान की खेती की।”

समाधान और उपाय
सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की घोषणा की है। इनमें नई कीट नियंत्रण तकनीकों का उपयोग, किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और जैविक कीटनाशकों का अधिकाधिक उपयोग शामिल हैं। इसके अलावा, किसानों को दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने के लिए ठोस रणनीतियों की आवश्यकता है ताकि भविष्य में कपास उत्पादन में स्थिरता बनी रहे।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक रणनीतियों के बिना यह संकट और भी गहरा सकता है। इसके लिए सरकार और किसानों दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत है।

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