Milet crop: बाजरे की पीली पड़ रही की पत्तियों को ना करें नजर अंदाज, हरे पौधों को जकड़ रही है फफूंद, जल्दी करें उपचार
Milet crop: बाजरे की पीली पड़ रही की पत्तियों को ना करें नजर अंदाज, हरे पौधों को जकड़ रही है फफूंद, जल्दी करें उपचार
बाजरे की खेती करने वाले किसानों के लिए बेहद जरूरी खबर है। यदि आपने भी बाजरे की बुवाई की है, तो यह खबर आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। बाजरा, जिसे पोषक तत्वों से भरपूर अनाज के रूप में जाना जाता है, वर्तमान समय में विशेष रूप से डायबिटीज़ रोगियों के आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बाजरे की फसल में कीट और बीमारियों से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
फसल की देखभाल
बाजरे की बुवाई के बाद जब पौधा 6 इंच, 8 इंच या 10 इंच का हो जाता है, तब उसकी देखभाल बेहद जरूरी होती है। श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के प्रमुख प्रो. अशोक कुमार सिंह के अनुसार, एक महीने की फसल होने पर निराई और गुड़ाई कर देना चाहिए ताकि पौधे की बढ़वार बेहतर हो सके।
प्रो. सिंह का मानना है कि दो महीने की फसल में तना छेदक कीट (Stem Borer) का हमला होने की संभावना होती है। इस कीट से बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। इसके अलावा, जब बाजरे में फूल और बालियां आने लगती हैं, तो फफूंद जनित बीमारियों से बचाव के उपाय करने चाहिए।
कीटों से बचाव के तरीके
बाजरे की फसल में कीटों से बचाव के लिए समय पर उपचार करना बेहद आवश्यक है। 45 से 50 दिन की फसल होने पर तना छेदक कीट से बचाव के लिए डेसिस 2.8% का अल्फामेथरीन का उपयोग करें। इसकी दो मिलीलीटर मात्रा को 1 लीटर पानी में मिलाकर शाम या सुबह के समय छिड़काव करें। इससे फसल पूरे सीजन स्वस्थ रहेगी और कीटों का हमला नहीं हो पाएगा।
फफूंद जनित बीमारियों से बचाव के लिए, बीज को उपचारित करके ही बोएं। एक बार फफूंद लगने के बाद, यह फसल को नष्ट कर देता है। जमीन में नमी की कमी होने पर दीमक रोग का प्रभाव भी देखा जा सकता है। इस स्थिति में, खेत में नमी बनाए रखें और यदि दीमक का प्रकोप दिखता है, तो फिनोल फॉस का उपयोग करें।