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भारत-इंडोनेशिया में गैर-बासमती चावल का व्यापार खुलने से निर्यात को संजीवनी

"भारत और इंडोनेशिया के बीच गैर-बासमती सफेद चावल के व्यापार के समझौते से हरियाणा के किसानों और निर्यातकों को फायदा। जानिए कैसे यह कदम मंडियों में धान के भाव बढ़ाने में मदद करेगा।"

कैथल खाड़ी देशों में देश से ढीले पड़ रहे चावल निर्यात को भारत-इंडोनेशिया के बीच गैर- बासमती सफेद चावल के व्यापार के समझौते की खबर से उम्मीद जगी है। हरियाणा का चावल निर्यात में बड़ा योगदान रहता है। हमारे निर्यातक ईरान, इराक, सऊदी अरब में ज्यादा चावल भेजते हैं। पिछले कई साल से यह निर्यात प्रभावित हो रहा है।

केंद्र सरकार के इंडोनेशिया के साथ गैर-बासमती चावल का निर्यात खुलने के संकेत से निर्यातक उत्साह में हैं। हरियाणा चावल निर्यातक एसोसिएशन ने भी इस फैसले को लेकर खुशी जताई है। बता दें कि जिले में कुल 200 राइस मिलर्स हैं। इनमें से करीब 100 राइस मिलर्स तो अकेले गुहला क्षेत्र में हैं। वर्ष 2024 में करीब 20 नए राइस मिल खुले हैं। जिले में पिछले साल एक लाख 65 हजार हेक्टेयर में धान का क्षेत्र था। पाई व पूंडरी क्षेत्र में बासमती तो गुहला, कलायत, कैथल, सीवन व राजौंद क्षेत्र में किसानों ने नान बासमती धान लगाया था।

चावल निर्यात में हरियाणा की भूमिका

हरियाणा का चावल मुख्य रूप से खाड़ी देशों जैसे ईरान, इराक और सऊदी अरब को निर्यात किया जाता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से यह निर्यात विभिन्न कारणों से प्रभावित हो रहा था। जिले में 200 से अधिक राइस मिल्स हैं, जिनमें से 100 अकेले गुहला क्षेत्र में स्थित हैं।

वर्ष 2024 में जिले में 20 नई राइस मिल्स की स्थापना हुई, जिससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है। पिछले साल जिले में एक लाख 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की गई थी। पाई और पूंडरी क्षेत्रों में बासमती धान की खेती होती है, जबकि गुहला, कलायत, कैथल, सीवन और राजौंद क्षेत्रों में नान-बासमती धान उगाया जाता है।

मंडियों में बढ़ेंगे धान के भाव
राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के जिला प्रधान तरसेम गोयल ने बताया कि भारत-इंडोनेशिया के बीच गैर- बासमती सफेद चावल का व्यापार खुलने से न केवल चावल निर्यातकों को बल्कि किसानों को भी इससे फायदा होगा। विदेशों में चावल की डिमांड बढ़ेगी। इससे मंडियों मेधान के भाव में तेजी आएगी।

नान बासमती चावल की बढ़ेगी डिमांड : हरियाणा राइस
मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रधान सचिन मित्तल ने कहा कि भारत- इंडोनेशिया के बीच गैर-वासमती चावल को लेकर हुए समझौते से चावल निर्यात कों को फायदा होगा। नान वासमती चावल की डिमांड विदेशों में बढ़ेगी : पूर्व प्रधान सचिन मित्तल

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