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15 जनवरी से मध्य फरवरी तक करें बेल वाली सब्जियों की उन्नत किस्मों की बिजाई या रोपाई, 60 से 65 दिन में तैयार

सब्जी उत्पादन वैज्ञानिक विधि से 60 से 65 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं ये किस्में

बेल वाली या कद्दू किस्म की कई तरह की सब्जियों की 15 जनवरी से मध्य फरवरी तक वैज्ञानिक विधि से खेती कर सफल उत्पादन ले सकते हैं। इन सब्जियों में मुख्य रूप से घिया कद्दू, चिकनी तोरी (धारी वाली तोरी), पेठा (पंपकिन), करेला, खरबूजा, तरबूज एवं गोल चप्पन कद्दू व खीरा आदि शामिल हैं।

इनकी खुले खेतों में सीधी बिजाई करके या मसाला विधि द्वारा पौध तैयार करके भी रोपाई की जाती है। महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रध्यापक प्रो. डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि इन सब्जियों की खेती करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जिससे रोग रहित फसल से कम खर्च में अच्छा खासा उत्पादन मिल सके।

साथ ही वैज्ञानिक विधियों को अपनाने के लिए सबसे पहले सभी विभिन्न बेल वाली सब्जियों को उगाने के लिए इन उन्नत शंकर प्रजातियों का प्रयोग करना भी बहुत जरूरी है।

ऐसे करें बिजाई व रोपाईः बीजों की बिजाई ऊपर उठी क्यारियों में जिन की परस्पर दूरी 2 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर जबकि नाली की गहराई लगभग 20 से 30 सेंटीमीटर रखें। बीज की बिजाई ऊपर उठे बैडों में नाली के सिरों पर की जाती है। बिजाई के समय पर्याप्त नमी का होना बीजों के अच्छे फुटाव के लिए बेहद जरूरी होता है।

जो किसान कद्दू जाति सब्जियों की पौध तैयार करवा कर उनकी रोपाई करते हैं उनके लिए बेड के सेंटर से लेकर दूसरे बेड के सेंटर तक का अंतर लगभग एक से डेढ़ मीटर का होना चाहिए। बेड़ों के बीच में 60 सेंटीमीटर की दूरी पर पौध की रोपाई की जाती है। पौधे से पौधे का फासला 60 सेंटीमीटर बेड की ऊंचाई 30 से 45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

प्लास्टिक मल्च का प्रयोग
इन दिनों ठंड के मौसम में प्लास्टिक लो टनल विधि से कोहरा या पाले से पौधों को सुरक्षित रखा जा सकता है।” जिससे अधिक गुणवत्ता वाले अगेती फसल को मंडी में बेचकर किसान अधिक मुनाफा पा सकते हैं। पौधरोपण विधि से पहले बेड़ों का माथा ढलान के आकार का रखें जिससे कि टपका विधि द्वारा सिंचाई करने में और उनमें रसायनिक खादों के देने पर सभी पौष्टिक तत्व आसानी से पौधे की जड़ों तक पहुंच जाते हैं।

ये सभी किस्में 60 से 65 दिन में तैयार हो जाती हैं।

• घीयाः बलवंत, हारूना, मल्लिका, अनोखी आदि।
• करेलाः नगेश, प्राची, आलिया, अभिषेक, हाइब्रिड नंबर 6214
• खरबूजाः ईंथानान, बॉबी, सनी प्लस, मधु राजा, मृदुला।
• पेठाः वीएनआर पी- 6, चामुंडा, रसिया, अकार्पा चंदन।
• रामा तोरीः सत्या, मोहित, आलोक, सुंदरी हाथी किस्में हैं।
• काली तोरीः पूसा नसधार • टिंडा: बीकानेरी ग्रीन, माही टिंडा।
• तरबूजः मिश्री, आरोही, सुपर हनी, आईबीएच 23 नंबर, हनी प्लस

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