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गेहूं के बढ़ते दामों ने बढ़ाई चिंता: 24% की तेजी, आटे ने तोड़ा 16-17 सालों का रिकॉर्ड

गेहूं के बढ़ते दामों से आम जनता परेशान। 24% की तेजी के साथ आटे के दामों ने 16-17 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा। जानें ताजा मंडी भाव और विशेषज्ञों की राय।

Wheat Price Todayगेहूं के बढ़ते दामों ने आम जनता को परेशान कर दिया है। फिलहाल गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी अधिक हैं, जिससे बाजार में आटे और अन्य गेहूं आधारित उत्पादों की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं। आटे के भाव ने 16-17 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आइए जानते हैं वर्तमान स्थिति और विशेषज्ञों की राय।

गेहूं की कीमतों में 24% की तेजी

इस समय गेहूं की कीमतें देशभर में 24% तक बढ़ गई हैं। जहां सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्रयास किए, वहीं बाजार में कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आ रहा। हाल ही में ई-नीलामी के माध्यम से एक लाख टन गेहूं बेचा गया, लेकिन इसका असर भी बाजार पर नहीं पड़ा।

Wheat Price

राज्यन्यूनतम भाव (रुपए/क्विंटल)अधिकतम भाव (रुपए/क्विंटल)
उत्तर प्रदेश30004000
मध्य प्रदेश28003600
महाराष्ट्र28104000
राजस्थान28503500
दिल्ली30003700

आटे के भाव ने तोड़ा रिकॉर्ड

गेहूं के दामों का सीधा असर आटे की कीमतों पर पड़ा है। दिसंबर 2024 में आटे की कीमतें ₹45 से ₹50 प्रति किलो तक पहुंच गई हैं। यह 2008-09 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है।

अन्य राज्यों में गेहूं के दाम

  • उत्तर प्रदेश: देश में सबसे अधिक गेहूं उत्पादन करने वाले राज्य में भी दाम 3000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर हैं।
  • मध्य प्रदेश: न्यूनतम ₹2800 और अधिकतम ₹3600 प्रति क्विंटल।
  • महाराष्ट्र: न्यूनतम ₹2810 और अधिकतम ₹4000 प्रति क्विंटल।
  • दिल्ली और राजस्थान: औसत कीमत ₹3000 प्रति क्विंटल से अधिक है।

गेहूं की कीमतें कब कम होंगी?

विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की कीमतों में गिरावट तभी संभव है जब नया स्टॉक बाजार में आए। इस साल लगभग 295 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हुई है, जो पिछले 9 सालों में सबसे अधिक है। उम्मीद है कि आगामी महीनों में उत्पादन बढ़ने से कीमतें नियंत्रित हो सकती हैं।

सरकार की पहल और चुनौतियां

सरकार ने गेहूं के दाम कम करने के लिए बाजार में स्टॉक उतारने और MSP नीति पर काम किया है। लेकिन मांग और आपूर्ति के असंतुलन के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है।

गेहूं की बढ़ती कीमतें आम जनता के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। सरकार और विशेषज्ञ दोनों ही इस पर नजर बनाए हुए हैं। उम्मीद है कि आगामी महीनों में नए उत्पादन से बाजार में स्थिरता आएगी।

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