गुलाबी सुंडी की रोकथाम को सीआईसीआरएस तीन राज्यों में पीबी नॉट स्प्लेट की तकनीक अपनाएगा
केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान सिरसा (सीआईसीआरएस) गुलाबी सुंडी की रोकथाम को हरियाणा, राजस्थान व पंजाब में पीबीडब्लू मोनिटरिंग के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाने के साथ मीटिंग डिस्प्रेशन टेक्नोलॉजी (एमडीटी) पीबी नॉट स्प्लेट की तकनीक अपनाएगा। तीनों राज्यों के 6 जिले प्रदर्शनी प्लांट को चिन्हित किए हैं। जिनमें हरियाणा के सिरसा, हिसार, राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, पंजाब के मानसा व बठिंडा में डेमो स्टेशन लगाएगा। फेरोमेन ट्रैप का 1 सेट 5 पीस का होता है। इसमें जाली होती है। इसके नीचे चिपचिपा पदार्थ होता है। यह 2 तरह के होते हैं- नर गंध व मादा गंध।
1 एकड़ में 2 से 5 पीस लगा सकते हैं। यदि नर गंध ट्रैप लगाया है तो मादा कीड़े मिलन के लिए इस ओर आकर्षित होंगे व जाल में फंसकर मर जाएंगे। मादा गंध वाले ट्रैप लगे होंगे तो नर कीड़े फंसकर नष्ट हो जाते हैं। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सतीश सैन ने बताया कि गुलाबी सुंडी से बचाने को प्रोजेक्ट बंधन भी कारगर है। जिसमें प्लास्टिक की रस्सी से कपास को सुरक्षित रखा जा सकता है। पीबी नॉट 30 सेमी की विनाइल की रोप होती है, जो मादा कीट के फेरोमोन छोड़ती है, 1 एकड़ में 200-250 नौट लगते हैं।
इन्हें 60-65 दिनों में बदलना होता है। मादा पिंक बॉलवर्म सेक्स फेरोमोन छोड़ती है, पीबी नॉट से फेरोमोन की गंध आती है तो नर कीट आकर्षित होते हैं, उनकी मौत हो जाती है। ‘पीबी नॉट के अलावा किसान स्प्लेट भी लगा सकते हैं। जिसमें फेरोमेन पेस्ट की ड्रॉप कॉटन प्लांट में लगानी होती है। एक एकड़ में 400 से 500 पौधों में 15 x 6 फिट के अंतराल पर लगाएं। जिससे पीबीडब्लू के नर पतंगे भर्मित होकर खुद ब खुद नष्ट हो जाएंगे और मादा अंडे नहीं देगी।