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Increase cow milk गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए अपनाएं ये 5 आसान उपाय, बाल्टी भर देगा एक बार में!

Increase cow milk भारत भले ही दूध उत्पादन में नंबर एक हो, लेकिन यह मुख्यतः पशुओं की संख्या के कारण है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पशुओं के आहार और पोषण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता,

अगर आप पशुपालन करते हैं और अपनी गाय-भैंस का दूध उत्पादन Increase cow milk बढ़ाने की सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है। भारत में दूध उत्पादन में सुधार के लिए पशुओं के खानपान और देखभाल पर खास ध्यान देना बेहद जरूरी है। दूध देने वाले पशुओं के आहार में सही संतुलन और पोषण सुनिश्चित करने से उनकी दूध देने की क्षमता में काफी बढ़ोतरी हो सकती है।

भारत भले ही दूध उत्पादन में नंबर एक हो, लेकिन यह मुख्यतः पशुओं की संख्या के कारण है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पशुओं के आहार और पोषण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता, जिसके कारण दूध उत्पादन में अन्य देशों की तुलना में कमी देखी जाती है। आइए, जानते हैं कैसे आप अपने दुधारू पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते हैं।

दुधारू पशुओं का सही आहार

गाय-भैंस को पोषण युक्त आहार देना उनकी दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का सबसे प्रभावी तरीका है। 400 किलोग्राम वजन वाले पशु को रोजाना 1.5 किलो दाना कड़वे भूसे के साथ देना चाहिए। इसके अलावा, प्रत्येक 3 किलो दूध उत्पादन पर 1 किलो अतिरिक्त दाना दिया जाना चाहिए।

सूखी घास और अनाज का संतुलन

सूखी घास में मौजूद पोषक तत्व पुआल की तुलना में अधिक होते हैं। केवल सूखी घास देने से पशुओं की पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। लेकिन दूध उत्पादन के लिए अतिरिक्त अनाज की जरूरत होती है। 400 किलोग्राम वजन और 10 किलो दूध उत्पादन करने वाली गाय को 4 किलो अनाज के साथ सूखी घास दी जानी चाहिए।

हरे चारे की भूमिका

दलहनी हरा चारा जैसे लोबिया, बरसीम और ल्यूसर्न दूध उत्पादन के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। अगर गाय 5 किलो दूध देती है, तो उसे रोजाना 30 किलो हरा चारा दिया जा सकता है। इससे अतिरिक्त अनाज देने की जरूरत नहीं पड़ती।

गर्भवती गायों के लिए खास देखभाल

गर्भवती गायों को सामान्य गायों की तुलना में अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में भ्रूण का विकास तेज होता है। इस दौरान हरा चारा, खनिज लवण, और विटामिन ए जैसे तत्वों का आहार में समावेश जरूरी है। ब्याने से पहले गुड़ और दलिया खिलाना फायदेमंद होता है।

विटामिन और खनिज का महत्व

पशुओं के आहार में विटामिन ए और खनिज लवण की कमी दूध उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध चारा घटकों को मिलाकर संतुलित आहार तैयार किया जा सकता है। हरे चारे की अनुपलब्धता में विटामिन ए पाउडर देना आवश्यक हो जाता है।

हरा और सूखा चारा का सही अनुपात

पशुओं को प्रतिदिन 8-10 किलो हरा चारा और 5-6 किलो सूखा चारा देना चाहिए। यह अनुपात पशुओं की पोषण और ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करता है।

फलीदार बनाम गैर-फलीदार चारा

फलीदार चारा जैसे बरसीम और लोबिया में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जो दूध उत्पादन बनाए रखने में सहायक है। गैर-फलीदार चारे जैसे मक्का और ज्वार को फलीदार चारे के साथ मिलाकर खिलाना बेहतर होता है।

ब्याने के बाद आहार प्रबंधन

ब्याने के बाद गाय को धीरे-धीरे आहार देना शुरू करना चाहिए। पहले सप्ताह में कम मात्रा में और फिर धीरे-धीरे आहार की मात्रा बढ़ानी चाहिए।

संतुलित आहार की तैयारी

स्थानीय चारा घटकों को मिलाकर सस्ता और संतुलित आहार तैयार करना पशुपालकों के लिए लाभकारी हो सकता है। सही आहार प्रबंधन से पशुओं की दूध देने की क्षमता में आश्चर्यजनक सुधार देखा जा सकता है।

विशेषज्ञों की सलाह

पशुओं के आहार में विविधता लाने और नियमित स्वास्थ्य जांच कराने से उनकी उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही साफ-सफाई और नियमित टीकाकरण का भी ध्यान रखना जरूरी है।

पशुपालकों को अपने दुधारू पशुओं के आहार में सही संतुलन और पोषण सुनिश्चित करना चाहिए। नियमित देखभाल, सही आहार और स्वास्थ्य प्रबंधन से गाय-भैंस की दूध उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।

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