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नोएडा में 6 गांवों के हजारों परिवारों को मिलेगा मालिकाना हक, चार साल से थी लंबित मांग

किसानों को उनके आवंटित प्लाट का मालिकाना हक मिलने के बाद वे इन प्लॉट्स का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए कर सकेंगे।

नोएडा में जेवर एयरपोर्ट के निर्माण के चलते प्रभावित हुए 6 गांवों के हजारों परिवारों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी होने जा रही है। इन परिवारों को मालिकाना हक मिलने वाला है, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। मंगलवार, 17 सितंबर 2024 को यह खबर आई है कि नागरिक उड्डयन विभाग जल्द ही इन विस्थापित परिवारों को लीज डीड प्रदान करेगा।

किसानों को चार साल से अपने प्लाटों की रजिस्ट्री का इंतजार था। अब उन्हें यह हक मिल जाएगा और वे अपनी संपत्ति का सही से उपयोग कर सकेंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसान अपने प्लॉट का इस्तेमाल लोन लेने, खरीद-बेच करने और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए कर सकेंगे।

3065 किसानों को मिलेगा मालिकाना हक

नोएडा एयरपोर्ट परियोजना के पहले चरण के अंतर्गत जेवर के 6 गांवों के 3065 विस्थापित किसानों को जल्द ही लीज डीड दी जाएगी। इसके लिए नागरिक उड्डयन विभाग ने 16.96 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इन गांवों में रोही, नगला गनेशी, नगला फूलखॉ, दयानतपुर, नगला शरीफ खां और नगला छीतर शामिल हैं। इन गांवों के 3065 परिवारों को करीब 1.94 लाख वर्ग मीटर जमीन पर प्लॉट आवंटित किए गए थे।

किसानों को उनके आवंटित प्लाट का मालिकाना हक मिलने के बाद वे इन प्लॉट्स का इस्तेमाल अपने लाभ के लिए कर सकेंगे। लीज डीड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रभावित किसानों को उनकी जमीन का वैधानिक हक दिया जाएगा, जिससे उनकी मांग का समाधान हो सकेगा।

1334 हेक्टेयर जमीन का हुआ अधिग्रहण

जेवर एयरपोर्ट परियोजना के तहत इन गांवों से 1334 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। पहले चरण के अंतर्गत इस जमीन पर प्लॉट आवंटित किए गए थे, लेकिन किसानों को उनकी रजिस्ट्री नहीं मिली थी। 2020 में लकी ड्रॉ के माध्यम से इन किसानों को प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया पूरी की गई थी। अब उन्हें लीज डीड प्रदान की जाएगी ताकि वे अपने प्लॉट्स का कानूनी हक हासिल कर सकें।

किसानों को इस कदम से बड़ा फायदा होगा, क्योंकि इससे वे अपने प्लॉट्स का सही से उपयोग कर सकेंगे। इससे न केवल उनके आर्थिक स्थिरता में सुधार होगा बल्कि बैंकों से आसानी से लोन लेने में भी मदद मिलेगी।

चार साल से लंबित थी मांग

किसानों की यह मांग पिछले चार सालों से लंबित थी। उन्हें उनके प्लॉट्स आवंटित कर दिए गए थे, लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई थी। किसानों ने इन प्लॉट्स पर घर बनाकर रहना शुरू कर दिया था, लेकिन मालिकाना हक के अभाव में वे कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे थे। अब नागरिक उड्डयन विभाग ने राज्य सरकार के सहयोग से 16.96 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है, जिससे स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क का भुगतान किया जाएगा।

इस प्रक्रिया के बाद किसानों को उनके प्लॉट्स का मालिकाना हक मिल जाएगा और वे अपने प्लॉट्स को कानूनी रूप से बेचने, लोन लेने और अन्य कामों के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे।

किसानों को क्या होगा फायदा?

मालिकाना हक मिलने के बाद किसानों को कई प्रकार के लाभ होंगे। वे बैंकों से आसानी से लोन ले सकेंगे और प्रॉपर्टी के कागजात का उपयोग अन्य वित्तीय कार्यों के लिए भी कर सकेंगे। इसके अलावा, अगर किसानों को पैसों की जरूरत होती है तो वे अपने प्लॉट को बेच भी सकेंगे।

इसके अलावा, प्लॉट्स की लीज डीड मिलने के बाद परिवारों में बंटवारा भी आसान हो जाएगा। किसान अपने हिस्से की जमीन का वैधानिक हक प्राप्त कर सकेंगे और इसे अपने तरीके से इस्तेमाल कर सकेंगे।

लीज डीड की प्रक्रिया

नायब तहसीलदार को लीज डीड प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई है। वह उप जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर किसानों के नाम पर उनके प्लॉट्स की लीज डीड तैयार करेंगे। इसके बाद सब रजिस्ट्रार कार्यालय में इन प्लॉट्स का कानूनी हस्तांतरण किया जाएगा।

किसानों को यह हक दिलाने के लिए जिला प्रशासन ने पहले ही जरूरी कदम उठा लिए हैं। डीए तैयार होते ही किसानों को उनके प्लॉट्स का मालिकाना हक मिलना शुरू हो जाएगा। प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि यह प्रक्रिया जल्दी पूरी हो और किसानों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।

नया मॉडर्न टाउनशिप

जेवर बांगर में प्रभावित परिवारों को विस्थापित करने के लिए एक मॉडर्न टाउनशिप का निर्माण किया गया है। इसमें 1.94 लाख वर्ग मीटर जमीन पर 3065 परिवारों को प्लॉट आवंटित किए गए हैं। यह टाउनशिप पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से लैस होगी और यहां पर परिवार आरामदायक जीवन बिता सकेंगे।

इस टाउनशिप में बेहतर बुनियादी ढांचा, स्वच्छता, बिजली-पानी की सुविधा और अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इसके अलावा, स्कूल, अस्पताल, बाजार और परिवहन की सुविधाएं भी यहां मौजूद हैं, जिससे निवासियों को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।

कुल मिलाकर, नोएडा में जेवर एयरपोर्ट के निर्माण के चलते विस्थापित हुए किसानों की चार साल से लंबित मांग अब पूरी होने जा रही है। नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा लीज डीड प्रदान की जाने वाली है, जिससे किसानों को मालिकाना हक मिल जाएगा। यह कदम किसानों के लिए आर्थिक और सामाजिक रूप से बेहद फायदेमंद साबित होगा।

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