दक्षिण हरियाणा में खेतों की प्यास बुझाएगा यमुना का पानी
बरसाती मौसम में यमुना का अतिरिक्त पानी भिवानी, चरखी दादरी व हिसार ले जाने के लिए बिछाई जाएगी पाइपलाइन, अमृत सरोवर तालाबों सहित 2500 तालाबों का सुधार
बंडीगढ़ : सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) का पानी भले ही अभी तक हरियाणा को नहीं मिल पाया है, लेकिन अब यमुना नदी वा पानी जरूर दक्षिण हरियाणा के सूखे खेतों की प्यास बुझाएगा। बरसाती मौसम में यमुना नदी नदी का अतिरिक्त पानी भिवानी, चरखी दादरी व हिसार ले जाने के लिए पाइपलाइन बिछाई जाएगी। पिछले साल 17 फरवरी को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की मध्यस्थता में हरियाणा और राजस्थान के बीच हुए समझौते पर इस साल काम शुरू होने की उम्मीद है।
बरसाती मौसम में यमुना नदी में पानी का प्रवाह 24 हजार क्यूसिक से अधिक हो जाता है। थोड़े समय के लिए उपलब्ध इस अतिरिक्त पानी को संग्रहीत कर पानी की कमी वाले दक्षिण हरियाणा में पाइप लाइन के माध्यम से ले जाया जाएगा। इससे न केवल यमुना के साथ लगते क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या कम होगी, बल्कि भिवानी, चरखी दादरी और हिसार में पेयजल व सिंचाई पानी भी उपलब्ध हो सकेगा। जल संरक्षण की कड़ी में प्रदेश सरकार ने बिजली संयंत्रों, उद्योगों, सिंचाई और नगर पालिकाओं द्वारा उपचारित अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग करने की नीति बनाई है। अब तक 200 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग गैर पैबजल कार्यों में किया जा रहा है।
आगामी दिसंबर तक 9१०० एमएलडी से अधिक उपचारित अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग संभव होगा। दिसंबर 2028 तक सभी सीवरेज के माल जल को उपचारित करने का लक्ष्य है, जिससे मीठे पानी की बचत होगी। गैर मानसून अवधि में पश्चिमी जमुना नहर वाहक प्रणाली के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए 6000 क्यूसिक की क्षमता का एक नया समानांतर पक्का चैनल बनाया जा रहा है।
साथ ही संवर्धन नहर और समानांतर दिल्ली ब्रांच की क्षमता में वृद्धि की जा रही है। गुरुग्राम और मेवात क्षेत्र की जाल समस्या के समाधान के लिए दो परियोजनाओं गुरुग्राम जलापूर्ति चैनाल की रि-माडलिंग और मेवात फीडर पाइप लाइन परियोजना पर काम शुरू हो गया है। परियोजनाएं सिरे चढ़ने से नूंह, गुरुग्राम, मानेसर और बहादुरगढ़ शहरों तथा नए विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों आइएमटी मानेसर, सोहना, खरखौदा, बहादुरगढ़ और धारूहेड़ा औद्योगिक क्षेत्र तथा आसपास के गांवों की पेयजल की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। मौजूदा क्षमता 175 क्यूसिक से बढ़ाकर 686 क्यूसिक की जाएगी।
रेणुका और लखवार व्यासी बांध के लिए 173 करोड़ रुपये जमा करा चुकी प्रदेश सरकार अब इस परियोजना पर आगे बढ़ेगी। इसके अलावा करीब 2500 तालाबों के सुधार, नवीकरण और जीर्णार का प्रस्ताव है।
प्रदेश में मांग से 14 लाख करोड़ लीटर पानी कम
प्रदेश में माग की तुलना में 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी है। जल प्रबंधन, जल संचयन और जल संरक्षण के जरिये मांग और अपूर्ति का अंतर 50 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य स्खा गया है।
हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण, माइको इरीगेशन कमाड परिया डेवलपमेंट अथारिटी (मिका) और हरियाणा पौड एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट अथारिटी के साथ मिलकर नौ विभाग इस साल 27.7 प्रतिशत पानी बचाने की कोशिश करेंगे।
जल स्तर में सुधार के लिए 13 जिलों के अत्यधिक भूजल बोहन व निरंतर घटते भूजल स्तर वाले और गंभीर श्रेणी में आने वाले 36 ब्लाक में तालाबों पर फोकस किया गया है। हर ब्लाक के लिए अलग से वाटर प्लान तैयार किया गया है।
नदियों को आपस में जोड़ने की योजना:
नदियों को आपस में जोड़ने के लिए व्यापक योजना तैयार की जा रही है। नदियों को जोडने से सिचाई सुविधाओं में सुधार होगा। साथ ही अमृत सरोवर योजना को लागू करने में मदद मिलेगी जिसका उद्देश्य जल निकायों को पुनर्जीवित करना और ग्रामीण क्षेत्रों में जल भखरण क्षमता को बढ़ाना है। जल्द ही अधिकारियों का एक दल गुजरात में नदियों को आपस में जोडने की योजना का अध्ययन करने के लिए गुजरात का दौरा करेगा।
जल संरक्षण के लिए चल रहे प्रयास
• तीन लाख 14 हजार एकड़ क्षेत्र में फसल विविधीकरण से एक लाख पाच हजार करोड़ लीटर पानी की बचत होगी
• 4.75 लाख एकड़ में धान की सीधी बिजाई से 51 हजार करोड लीटर और 27.53 लाख एकड़ में संरक्षण जुताई से 1.18 लाख करोड़ लीटर पानी बचाया जाएगा
• साढ़े तीन लाख एकड़ में उच्च किस्मों के प्रयोग से 47 हजार करोड लीटर, पौने दस लाख एकहमें हरी खाद के उपयोग से 35 हजार करोड लीटर, 43 हजार एकड़ में प्राकृतिक खेती के माध्यम से 27 हजार करोड लीटर पानी बचाया जाएगा