पाले से पड़ा किसानों का ‘पाला’, फसलो की सिंचाई नहीं तो छीन जाएगा निवाला
सूखी ठंड से ज्यादा नुकसान
इस बार झुलसाने वाली गर्मी, लेकिन बारिश के तेवर नरम रहे, अब सर्दी का सित्तम शुरू हो गया। बुधवार को पारा एकदम नौचे लूढकने से रबी फसलों पर पाला गिरा। सुबह सात बजे तक रबी फसल की फसल सरसों के पत्तों पर पाले की परत जमी हुई थी। खुरचने पर बर्फ बन कर एकत्रित हो गई। यहां तक कि सरसों के डंडल भी पूरी तरह से अकड़े हुए नजर आए।
उनको हाथ लगाते ही वे सूखी लकड़ी की तरफ टूट कर दूर गिर रहे थे। यह नजारा सुबह आठ बजे तक देखने को मिला। धूप की चटकता के बाद ही पौधों में होश आया और वे फिर हवा के साथ झुलने लगे। कड़ाके की ठंड की वजह से अल सुबह लोगों की कंपकपी छूटी। शीत लहर की वजह से लोग देर तक रजाईयों में दुबके रहे। सुबह लोग जब सोकर उठे तो उस वक्त धीमी गति से हवा चल रही थी। हालांकि धुंध आदि की चादर नहीं तनी हुई थी, लेकिन कड़ाके की ठंड की वजह से हर किसी की कंपकपी छुट रही थी।
लोग ‘फिर से घरों में दुबकने लगे। धूप खिली तो लोगों को ठंडक से छुटकारा मिला। उसके बाद लोग खेतों की तरफ निकले तो सूखे चारे व सरसों के पौधों के पत्ते सफेद थे। जिनको खुरचने पर पत्तों पर सफेद रंग का आटा सा एकत्रित होने लगा। बाद में देखा तो वह वर्फ थी। इस दौरान सरसों के पौधे पूरी तरह से अकड़े हुए खड़े थे। उनको हाथ लगाने पर वे टूट कर दूसरी तरफ गिर रहे थे। सरसों का पौधा पूरी तरह से बर्फ बना हुआ था।
इसी तरह गेहूं के पत्तों पर भी बर्फ के द लटक रहे थे। हालांकि ज्यादा ठंड गेहूं लिए फायदेमंद रहती है, लेकिन सरसों फसल के लिए नुकसानदायक है। फलि बनने के वक्त सरसों की फसल पर इस तन का पाला पड़ जाए तो उसकी औसत पैदावार घटना लाजिमी है। चूंकि ज्यादा व से सरसों की फलियों में बनने वाला दाना पानी बन जाता है। पानी बनने की वजह दाना बनने की प्रक्रिया बीच में हीं रूक जा है। जिसके चलते सरसों की औस पैदावार में कमी आना लाजिमी है
सूखी ठंड से ज्यादा नुकसान
अगर हलकी सी बारिश हो जाती तो फसलों में कड़ाके की ठंड का कोई ज्यादा असर नहीं होता। क्योंकि रबी फसल के पौधों की सिचाई होने के बाद उनकी ठंड ओटने की क्षमता बढ़ जाती है लेकिन अग बिना सिंचाई या बारिश के इतनी ज्यादा ठंड पड़े तो पौधों की बढ़ने की क्षमता कम हो जाती है। कল। फूल पर भी इसका सीधा असर पड़ता है। फिलहाल रबी फसलों की सिंचाई करना बेहद जरूरी है।