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हरियाणा में तालाब, जोहड़ और झरनों की डिजिटल गणना करेंगे ग्राम सचिव व पटवारी

खासकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित जल स्त्रोतों व संसाधनों का कोई तथ्यात्मक डाटा नहीं है

चंडीगढ़ उत्तर भारत में पर्वतीय क्षेत्र जलापूर्ति का बड़ा स्त्रोत हैं। यहीं से नदियों, झरनों व नहरों के जरिये मैदानी क्षेत्रों में जलापूर्ति होती है। मगर अभी तक पर्वतीय जल स्त्रोतों की वास्तविक स्थिति जल शक्ति मंत्रालय के पास नहीं है। खासकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित जल स्त्रोतों व संसाधनों का कोई तथ्यात्मक डाटा नहीं है। इसकी महत्ता समझते हुए जल शक्ति मंत्रालय ने देशभर के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित जल स्त्रोतों व संसाधनों की डिजिटल गणना कराने का फैसला लिया है। हरियाणा में तालाब, जोहड़ व झरनों की डिजिटल गणना ग्राम सचिव व पटवारी करेंगे।
चंडीगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व चंडीगढ़ के मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षण दिया गया और जल स्त्रोतों की गणना की रूपरेखा तैयार की गई। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में 15 फीसद आबादी पर्वतीय जल स्त्रोतों पर निर्भर है। पर्वतीय क्षेत्रों की आबादी यहां मौजूद जल संसाधनों के पानी का पीने से लेकर सिंचाई में उपयोग करते हैं।
उन जल स्त्रोतों का पानी पीने लायक है या नहीं, उनमें कौन-कौन से तत्व मिश्रित हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं या फिर हानिकारक है, इसकी भी वास्तविकता डिजिटल गणना के जरिये सामने आएगी। जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण, लघु सिंचाई प्रकोष्ठ की उप महानिदेशक प्रियंका कुलश्रेष्ठ के मुताबिक जल संसाधनों की डिजिटल गणना का उद्देश्य जल संसाधनों व निकायों की वास्तविक स्थिति के साथ जल दोहन और भूजल स्तर का भी आकलन करना है। भू-अभिलेख विभाग के डीआरओ तरुण ने बताया कि डिजिटल गणना से उन जल संसाधनों को भी नई पहचान मिलेगी, जो लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। हर वर्ष वर्षा से जल स्त्रोतों व निकायों का कितना जल स्तर बढ़ा और सूखे का कितना असर पड़ा, इन तमाम तथ्यों की सटीक जानकारी केंद्र व राज्य सरकार के पास होगी।
इससे आगामी जल संबंधित योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में मदद मिलेगी। खासकर, भू-जल दोहन से डार्क जोन में पहुंच चुके क्षेत्रों के लिए नई योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। डिजिटल गणना के दौरान पंचायती राज मंत्रालय की एलजीडी (स्थानीय शासन निर्देशिका) का प्रयोग किया जाएगा, इसमें हर राज्य का भूमि क्षेत्र, राजस्व, नगरपालिका, निगम व वार्ड सहित पंचायतों को यूनिक आइडी दी गई है। जल संसाधन विभाग की ओर से सातवीं लघु सिंचाई गणना, दूसरी जल निकायों की गणना, पहली मध्यम एवं वृहद सिंचाई गणना एवं पहली जल स्त्रोतों की गणना संदर्भ वर्ष 2023-24 के साथ संपूर्ण डिजिटल प्रणाली में पूरे भारत वर्ष में करवाने का फैसला लिया गया है।

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