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जलवायु परिवर्तन से घट सकता है गेहूं और धान का उत्पादन: भारत के किसानों के लिए बड़ी चिंता

"जलवायु परिवर्तन से भारत में गेहूं और धान का उत्पादन 6-10% तक घटने की संभावना। जानें इसका असर, आंकड़े और समाधान। 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष।"

जलवायु परिवर्तन का बढ़ता असर

भारत में गेहूं का उत्पादन 2023-24 में 137 मिलियन टन और धान का उत्पादन 113.29 मिलियन टन तक पहुंचा। हालांकि, भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के चलते आने वाले वर्षों में गेहूं और धान का उत्पादन 6-10% तक घट सकता है। इसका असर केवल किसानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि लाखों लोगों के लिए सस्ते भोजन की उपलब्धता पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।

खेती पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

  • गेहूं की उपज:
    2100 तक भारत में गेहूं की उपज 25% तक घट सकती है।
  • धान की उपज:
    2050 तक सिंचित धान की उपज 7% तक कम होने की संभावना है।

समुद्री जीवन पर भी असर

जलवायु परिवर्तन न केवल खेती बल्कि समुद्री जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। समुद्र तट के पानी के गर्म होने से मछलियां ठंडे पानी की तलाश में गहरे समुद्र की ओर जा रही हैं। इससे मछुआरों की आय में कमी आ रही है क्योंकि उन्हें अब गहरे समुद्र में मछलियां पकड़ने के लिए अधिक खर्च और जोखिम उठाना पड़ रहा है।

पानी का संकट गहराने की संभावना

जलवायु परिवर्तन के चलते पश्चिमी विक्षोभ की संख्या और तीव्रता में कमी आई है। यह विक्षोभ सर्दियों में उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश और बर्फबारी का मुख्य कारण है। इसके कमजोर होने से हिमालय में बर्फ की मात्रा घट रही है और बर्फ तेजी से पिघल रही है।

पानी की कमी के संभावित आंकड़े

प्रभावआंकड़े
हिमालय की बर्फतीव्रता में कमी और पिघलने की गति तेज
पानी की उपलब्धताभारत और चीन के 2 अरब लोगों पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन से पानी की कमी और कृषि उत्पादन पर असर को कम करने के लिए तत्काल उपाय जरूरी हैं। सरकार और किसानों को मिलकर जल संरक्षण और टिकाऊ खेती की ओर ध्यान देना होगा।

महत्वपूर्ण सरकारी योजनाएं और आंकड़े

  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना:
    इस योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज मुफ्त में दिया जा रहा है।
  • औसत तापमान में वृद्धि:
    1901 से 2018 के बीच भारत का औसत तापमान 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है।
  • छोटे किसान:
    80% से अधिक किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है।

2024: अब तक का सबसे गर्म वर्ष

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 भारत के इतिहास में सबसे गर्म वर्ष रहा है। यह संकेत देता है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब अधिक गंभीर हो चुका है।

भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए जलवायु परिवर्तन का प्रभाव गंभीर चुनौती है। सरकार और समाज को मिलकर न केवल टिकाऊ कृषि की ओर ध्यान देना होगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास भी करने होंगे।

 

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