ट्यूबवेल लगाने पर सोलर पंप की शर्त में किया बदलाव
लोस चुनाव परिणाम के बाद मनोहर फैसले बदले जा रहे हैं। 12 मार्च को सीएम पद की शपथ लेने वाले नायब सिंह सैनी की सरकार ने चुनाव आचार संहिता के 6 जून को हटने के बाद पूर्व की सरकार के कई फैसले बदल दिए हैं। सैनी को प्रदेश में तीसरी बार सरकार लाने के लिए फ्री-हैंड
दिया गया है। ऐसे में वे सरकार की तस्वीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं। आम लोगों के लिए सीएम आवास के द्वार खोल दिए हैं।
आम लोगों से लेकर कर्मचारियों और पंचायत प्रतिनिधियों के लिए खजाना भी खोल दिया है। क्योंकि अब विस चुनाव में समय बाकी है। राज्य में अक्टूबर में चुनाव है। लोस चुनाव में कांग्रेस भाजपा से 5 सीटें छीनकर उसकी बराबरी पर रही। इसलिए नायब सरकार हर उस वर्ग को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है, जो अपनी मांगों या अधिकार को लेकर नाराज था।
जारिए…. 6 जून के बाद कितने बदले गए बड़े फैसले
मनोहर सरकार ने ओबीसी की केंद्र द्वारा तय 8 लाख की क्रीमिलेयर को
घटाकर 6 लाख किया था। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा था। अब नायब सरकार ने इस क्रीमिलेयर को फिर 8 लाख कर दिया है। राज्य में ओबीसी की आबादी 30% है। क्रीमिलेयर से उसमें काफी नाराजगी थी।
• मनोहर सरकार ने सरपंचों के काम कराने की आर्थिक पावर पर ई-डेंटर की कैंची चला दी थी। सरपंचों की कोटेशन के आधार पर 20 लाख रुपए की पावर को घटाकर 2 लाख किया गया। आंदोलन हुआ तो फिर इसे 5 लाख रुपए किया, परंतु सरपंच संतुष्ट नहीं हुए। अब नायब सरकार ने यह पावर 21 लाख कर दी है। राज्य में 6200 से ज्यादा ग्राम पंचायतें हैं। पावर घटाने से उनमें नाराजगी थी। लोस चुनाव में भाजपा के वोट पर ग्रामीण क्षेत्र में बड़ा प्रभाव पड़ा। इसलिए यह फैसला पलट दिया।
• मनोहर सरकार ने खेतों में ट्यूबवैल दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए सोलर पंप की शर्त लगाई थी। जिससे किसानों में नाराजगी हुई। 70 हजार से ज्यादा आवेदन रुक गए। अब नायब सरकार ने सोलर पंप की शर्त को हटा दिया है।
• परिवार पहचान में आय को लेकर बड़ा विवाद हुआ। पहले शर्त थी कि परिवार की आय आधार से लिंक बैंक खातों से मानी जाएगी। या फिर राजपत्रित अधिकारी के प्रमाण पत्र से आंकी जाएगी। अब नायब सरकार ने तय किया कि यदि व्यक्ति सादे कागज पर लिखकर अपनी आय प्रमाणित करता है तो उसे मान्य कर लिया जाएगा। इसलिए करना पड़ा… पीपीपी को लेकर काफी लोग परेशान है। इसका असर लोकसभा चुनाव में भी दिखा। खासकर आय प्रमाण को लेकर काफी विरोध भी हुआ।
• पुलिस कर्मचारियों के यात्रा भत्ता में भी बदलाव हुआ था। पहले 20 दिन से घटाकर 10 दिन किया गया था। अब नई सरकार ने फिर इसे 20 दिन कर दिया है। यह उन पुलिस कर्मचारियों के लिए भी किया गया है, जो पुलिस थानों में तैनात नहीं हैं। इसलिए करना पड़ा… यूनिट्स व कार्यालयों में तैनात पुलिस कर्मचारियों को कई बार जांच के लिए लंबे समय तक बाहर रहना पड़ता है। जब यात्रा भत्ता नहीं मिलता तो उन्हें 10 दिन में लौटना पड़ता है।
• पार्किंग प्लस 4 मंजिला भवन की मंजूरी मनोहर सरकार में दी गई। विरोध पर इसे रोक दिया गया। कमेटी बनी, रिपोर्ट भी आई, लेकिन मामला जस का तस रहा। अब नायब सरकार ने शर्तों के साथ पार्किंग प्लस 4 मंजिला भवनों की मंजूरी दे दी है। इसलिए करना पड़ा… पॉलिसी लागू होने पर लोगों को जमीन में पैसा निवेश चार मंजिला भवन बनाने के लिए किया। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा।