Minimum Support Price सरसों की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से होगी सुरू, अब तक किसानों को प्रतिदिन 6 लाख का नुकसान
minimum support price
समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद शुरू नहीं होने से किसानों को रोजाना लाखों रुपयो का नुकसान। दिन प्रति दिन मौसम का हाल देखते हुए किसान अपनी सरसों की फसल खेत से सीधे अपनी-अपनी मंडियों मे लेकर जा रहे हैं ।
इस बार सरकार की ओर से सरसों का समर्थन मूल्य minimum support price 5450 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है,किसानों का कहना है की खुली मंडियों में इन दिनों सरसों 5100 से 5300 रुपए प्रति क्विंटल खरीदी जा रही है। सरकारी केंद्र की शुरुआत 1 अप्रैल 2023 से शुरू होना प्रस्तावित है। इस वर्ष जिले में 156215 हेक्टेयर में रबी की बुवाई की गई। अभी से मंडीयों में सरसों की आवक होने लगी है। अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार मंडियों में करीब 5000 से अधिक सरसों की बोरियों की आवक रोजाना हो रही है। किसान प्रति क्विंटल औसतन 150-200 रुपए का किसान घाटा उठा रहे हैं।
mustard msp price 2023
Minimum Support Price
इन दिनों सरसों का भाव न्यूनतम 5100 से 5300 रूपए तक है। सरसों में स्टैंडर्ड लैब 42 (तेल की मात्रा) आने पर ही किसान को 5300 रूपए मिल पा रहे हैं, जबकि सभी सरसों की फसल की इतनी अधिक लैब आ नहीं रही। अधिकांश किसानों की सरसों में तेल की मात्रा 36 से 40 के बीच आती है। उन्हें 5100 से 5200 रुपए ही मिल पा रहे है।
1 मार्च से सरकारी खरीद शुरू होती तो किसान को मिलती राहत
मंडी पहुंच रही प्रत्येक बोरी पर किसान को 150 रुपए से 250 रूपए तक घाटा लग रहा है। ऐसे में प्रतिदिन 4 हजार बोरी की आवक भी मानी जाए तो किसानों को रोजाना करीब 6 लाख तक का घाटा पहुंच रहा है। ग्रामीण किसानों का कहना है कि जब सभी किसान अपनी सरसों भेज देंगे। उसके बाद कांटा लगने का औचित्य नहीं है।
बारिश व ओलावृष्टि से किसानों को हुआ काफी नुकसान
मार्च में मौसम का मिजाज अब भी लगातार बिगड़ता रहा है। 4 दिन पहले तक जिले में बारिश होगा वस्ती होने से फसलों में खासा नुकसान पहुंचा। 20 व 25 मार्च के बिगड़े मौसम में बारिश व ओले गिरने से सरसों व अन्य फसलों में नुकसान पहुंच चुका है। बिगड़ते मौसम की चिंता से भी किसान फसलों को समय से निकाल कर उसे बेचना चाहते हैं।
1 अप्रैल से 9 जीएसएस व तीन केवीएसएस पर सरकारी दर पर खरीद
प्रतापगढ़ कोऑपरेटिव इंस्पेक्टर जयपाल सिंह मीणा ने बताया कि समर्थन मूल्य पर सरसों गेहूं चने की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होगी minimum support price। इसको लेकर शिकायतें विभाग की ओर से जिले में 12 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। इनमें 9 जीएसएस व तीन केवीएसएस केंद्र शामिल है। खरीद को लेकर विभाग की ओर से टेंडर देने समेत अन्य प्रक्रिया किए जाने का कार्य जारी है। सरकार की ओर से सरसों का 5450 रुपए और चने का 5335 रूपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित किया है।
नोहर मंडी भाव, हनुमानगढ़ मंडी भाव, रावतसर मंडी भाव, सिरसा मंडी भाव, ऐलनाबाद मंडी भाव
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नोहर मंडी भाव का भाव २७ मार्च 2023
ग्वार का भाव : 4900-5474
पुराना चना का भाव : 4970-5045
मुंग का भाव: 7400-8571
मोठ का भाव: 5400-6700
गाय-भैंस के गर्भाधान में हो रही है दिक्कत तो, ये लड्डू खिलाने से गाय-भैंस समय पर होंगी हीट
अरण्डी का भाव: 5500-6316
गेहूं का भाव: 2250-2396
सरसों का भाव: 4500-5100
जौ का भाव: 1300-1800
आदमपुर मंडी का भाव
नरमा का भाव: 7500-7678
ग्वार का भाव: 4700-5320
सरसों का भाव: 5161
सरसों का भाव: 5400
सिरसा मंडी का भाव
नरमा का भाव: 7600-7685
यहां ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया है तो ही होंगे मुआवजे के लिए आवेदन
कपास का भाव: 9700-9750
गेहूं का भाव: 2100-2200
ग्वार का भाव: 4500-5375
सरसों का भाव: 4400-5201
ऐलनाबाद मंडी का भाव
नरमा का भाव: 7450-7571
सरसों का भाव: 3970-5137
ग्वार का भाव: 4700-5325
जौ का भाव: 1400-1950
बरवाला मंडी भाव का भाव
सरसों का भाव : 4973-5181
नरमा का भाव: 7383-7401
जौ का भाव: 1800
भट्टू मंडी का भाव
सरसों का भाव: 4700-55190
नरमा का भाव: 7200-7480
ग्वार का भाव: 4700-5010
जौ का भाव: 1650-1900
अब गेंहू 3500 रू प्रति क्विंटल बिकने की संभावना, 30 लाख टन गेहूं रियायती दर पर बेचेगी सरकार
सिवानी मंडी का भाव
ग्वार का भाव: 5500
चना का भाव: 5200
सरसों का भाव: 4800
सरसों 40 लैब का भाव: 5350
मूँग का भाव: 7800
मोठ का भाव: 6500
गेहूं का भाव: 2345
जौ का भाव: 1930
बाजरा का भाव: 2220
तारामीरा का भाव: 5450
श्री गंगानगर मंडी का भाव
गेहूं का भाव: 2266-2454
जौ का भाव: 1650-2011
सरसों का भाव: 4650-5121
ग्वार का भाव: 5050-5366
नरमा का भाव: 7351-7666
मुंग का भाव: 7500-8200
रावतसर मंडी का भाव
नरमा का भाव: 7825
सरसों 37.91 लैब का भाव: 4764
सरसों 39.81 लैब का भाव: 5032
हनुमानगढ़ मंडी का भाव
नरमा का भाव: 7600-7721
ग्वार का भाव: 5373
सरसों 39.14 लैब का भाव: 4935
सरसों 40 लैब का भाव: 5045
रावला मंडी का भाव
सरसों का भाव: 4650-5245
जौ का भाव: 1655-1815
नरमा का भाव: 7710-7950
ग्वार का भाव: 5270-5315
जैतसर मंडी का भाव
नरमा का भाव: 6650-7821
ग्वार का भाव: 5300-5340
सरसों का भाव 4370-5017
जौ का भाव: 1591-1741
रायसिंहनगर मंडी का भाव
नरमा का भाव: 7011-7665
मुंग का भाव : 7500-8320
सरसों का भाव: 4570-5147
ग्वार का भाव: 4700-5329
गेहूं का भाव : 2151
चना का भाव: 4706
जौ का भाव: 1500-1851
देवली मंडी का भाव
गेहूं का भाव: 2000-2350
जौ का भाव: 1880-2100
चना का भाव: 4000-4800
मक्का का भाव: 1900-2300
बाजरा का भाव: 2000-2215
ज्वार का भाव: 2100-5201
मसूर का भाव: 5900-6260
तारामीरा का भाव: 4200-5500
सरसों का भाव: 4200-5400
सरसों 42% का भाव: 5325-5350
Cabinet approves Minimum Support Prices for all Rabi Crops for Marketing Season 2023-24
104 percent rate of return over cost for rapeseed & mustard,
100 percent for wheat, 85 per cent for lentil; 66 per cent for gram; 60 per cent for barley; and 50 per cent for safflower
Posted On: 18 OCT 2022 1:34PM by PIB Delhi
The Cabinet Committee on Economic Affairs chaired by Hon’ble Prime Minister Shri Narendra Modi has approved the increase in the Minimum Support Prices (MSP) for all mandated Rabi Crops for Marketing Season 2023-24.
Government has increased the MSP of Rabi Crops for Marketing Season 2023-24, to ensure remunerative prices to the growers for their produce. The absolute highest increase in MSP has been approved for lentil (Masur) at Rs.500/- per quintal followed by rapeseed and mustard at Rs.400/- per quintal. For safflower, an increase of Rs.209/- per quintal has been approved. For wheat, gram and barley an increase of Rs.110/- per quintal, Rs.100 per quintal respectively has been approved.
MSP for all Rabi Crops for Marketing Season 2023-24
(Rs. Per quintal)
S.No. | Crops | MSP RMS 2022-23 | MSP RMS 2023-24 | Cost* of production RMS 2023-24 | Increase in MSP (Absolute) | Return over cost (in per cent) |
1 | Wheat | 2015 | 2125 | 1065 | 110 | 100 |
2 | Barley | 1635 | 1735 | 1082 | 100 | 60 |
3 | Gram | 5230 | 5335 | 3206 | 105 | 66 |
4 | Lentil (Masur) | 5500 | 6000 | 3239 | 500 | 85 |
5 | Rapeseed & Mustard | 5050 | 5450 | 2670 | 400 | 104 |
6 | Safflower | 5441 | 5650 | 3765 | 209 | 50 |
विपणन सीजन 2023-24 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है। किसानों को उचित पारिश्रमिक रेपसीड और सरसों के लिए रिटर्न की अधिकतम दर 104 प्रतिशत है, इसके बाद गेहूं के लिए 100 प्रतिशत, मसूर के लिए 85 प्रतिशत; चने के लिए 66 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत; और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत।
वर्ष 2014-15 से तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। तिलहन का उत्पादन 2014-15 के 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन (चौथा अग्रिम अनुमान) हो गया है। दालों के उत्पादन में समान वृद्धि की प्रवृत्ति दिखाई दी है। बीज मिनीकिट कार्यक्रम किसानों के खेतों में नई किस्मों के बीजों को पेश करने का एक प्रमुख साधन है और बीज प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने में सहायक है।2014-15 से दलहन और तिलहन की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है। दालों के मामले में उत्पादकता 728 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 892 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) यानी 22.53% की वृद्धि की गई है। इसी तरह, तिलहनी फसलों में उत्पादकता 1075 किग्रा/हेक्टेयर (2014-15) से बढ़ाकर 1292 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) कर दी गई है।
सरकार की प्राथमिकता तिलहन और दालों का उत्पादन बढ़ाना और इस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को पूरा करना है। तैयार की गई रणनीतियाँ क्षेत्र विस्तार, उच्च उपज वाली किस्मों (HYVs) के माध्यम से उत्पादकता, MSP समर्थन और खरीद के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के लिए हैं। सरकार देश में कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवाचार के उपयोग के माध्यम से स्मार्ट खेती के तरीकों को अपनाने को भी बढ़ावा दे रही है।
सरकार एक डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) लागू कर रही है, जिसमें इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर (आईडीईए), किसान डेटाबेस, एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (यूएफएसआई), नई तकनीक पर राज्यों को फंडिंग (एनईजीपीए), महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान में सुधार शामिल है। केंद्र (MNCFC), मृदा स्वास्थ्य, उर्वरता और प्रोफ़ाइल मानचित्रण। एनईजीपीए कार्यक्रम के तहत, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एआई/एमएल), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ब्लॉक चेन आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके डिजिटल कृषि परियोजनाओं के लिए राज्य सरकारों को धन दिया जाता है।
ड्रोन प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है। स्मार्ट खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा देती है और कृषि-उद्यमियों का पोषण करती है।