बैंगन की रोपाई जनवरी के दूसरे पखवाड़े से करें, 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं पौधे
• बीआर-112, हिसार-श्यामल व हिसार प्रगति किस्म अपनाएं
बसंतकालीन फसल के लिए बैंगन की जनवरी के दूसरे पखवाड़े से रोपाई शुरू की जा सकती है। बैंगन की उन्नत किस्मों बीआर-112, हिसार- श्यामल और हिसार प्रगति को प्रयोग में लाएं। एक एकड़ के लिए 200 ग्राम बीज पर्याप्त है। कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि पौधरोपण से तीन सप्ताह पहले प्रति एकड़ खेत में 10 टन गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट को खेत में मिला दें। 2-3 बार जुताई कर क्यारियां बना लें।
1 एकड़ फसल में रोपाई के समय कुल 40 किलोग्राम नत्रजन का एक तिहाई हिस्सा यानि 14 किलोग्राम नाइट्रोजन (30 किलोग्राम यूरिया खाद), 20 किलोग्राम फास्फोरस (125 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट) और 10 किलोग्राम पोटाश (16 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश) अवश्य दें। बाकी बची दो-तिहाई नत्रजन आधी-आधी करके फसल में दो बार पौधरोपण के 30 व 60 दिन बाद दें। रोपाई कतारों में लगभग 60 सेंटीमीटर की दूरी पर करें। पौध से पौध की दूरी बैंगन की किस्म के आधार पर 45 से 60 सेंटीमीटर रखें। रोपाई के बाद सिंचाई करें। गर्मी की फसल के लिए इस माह नर्सरी तैयार कर सकते हैं।
पाले से खराब पत्तों को काटकर फेंक दें
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग के अनुसार बैंगन की पिछली फसल यदि पाले से मर गई हो तो उसकी पाला प्रभावित टहनियों व पत्तों को काटकर फेंक दें। खेत में उचित खाद व पानी दें। ऐसा करने से इन टहनियों में नए कल्ले फूटेंगे जो कि बसंतकालीन अगेती फसल देंगे।
आलू की अगेती किस्में तैयार, इसी सप्ताह काटें टहनियां, सिंचाई न करें
कृषि विशेषज्ञ डॉ. सुरेश तेहलान ने बताया कि आलू की अगेती किस्में, कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी जवाहर, कुफरी गंगा और कुफरी नीलकंठ करीब 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती हैं। खुदाई करने से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें। कुफरी बादशाह 100-110 दिन, कुफरी-सिंदूरी 120 से 125 दिन में तैयार होती हैं। कुफरी पुखराज, कुफरी पुष्कर आलू की एक नई किस्म है जो कि मध्यम पछेती है। इन्हें खुदाई करके, छिलकों की क्यूरिंग के लिए छायादार स्थान या कमरों में फैलाकर रखें। बीज की फसल के लिए आलुओं की टहनियों को जनवरी के प्रथम सप्ताह में काटें और इन्हें 10 से 15 दिनों तक जमीन में रहने दें।