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mustard oil prices क्या सरसों तेल की बढ़ती कीमतें रसोई का बजट बिगाड़ देंगी? जानिए वजह

जयपुर मंडी में सरसों तेल और खाद्य तेलों के दामों में उछाल। सरसों मिल डिलीवरी और कच्ची घाणी तेल के दाम 50-100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़े। पढ़ें ताजा जानकारी।

mustard oil prices जयपुर में सरसों तेल और खाद्य तेलों के दामों में शनिवार को बड़ा बदलाव देखा गया। आयातित खाद्य तेलों में आई तेजी के कारण जयपुर मंडी में सरसों मिल डिलीवरी में 50 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल दर्ज किया गया। इसी वजह से सरसों कच्ची घाणी तेल के दाम भी 100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गए।

सरसों तेल के दामों में बढ़ोतरी क्यों?

विशेषज्ञों के अनुसार, कांडला पोर्ट पर पाम ऑयल और सोया रिफाइंड तेल के दाम बढ़ने से सरसों तेल के भाव भी चढ़ गए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में आयातित तेलों की मांग और कीमतों में तेजी के चलते यह स्थिति बनी। इसके साथ ही, बारिश के कारण मंडियों में आवक कम होने और उठाव कमजोर रहने से दामों पर दबाव बढ़ा।

जयपुर मंडी में खाद्य तेलों की स्थिति

शनिवार को जयपुर मंडी में खाद्य तेलों की कीमतें इस प्रकार रहीं:

  • सरसों 42% कंडीशन: 6550-6555 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सरसों कच्ची घाणी तेल: 13500 रुपये प्रति क्विंटल।
  • कांडला पोर्ट पाम ऑयल: 13400 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोया रिफाइंड तेल: 12800-12900 रुपये प्रति क्विंटल।
  • कोटा सोया रिफाइंड तेल: 13000-13100 रुपये प्रति क्विंटल।

अन्य फसलों और उत्पादों की कीमतें

बारिश के कारण अनाज और दाल-दलहन की कीमतों में स्थिरता रही। गेहूं, मक्का, बाजरा, और ज्वार जैसे अनाज के दामों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। चना जयपुर लाइन के भाव 6600-6800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।

प्रमुख अनाज के दाम

  • गेहूं मिल डिलीवरी: 3200-3225 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मक्का लाल: 2600-2700 रुपये प्रति क्विंटल।
  • ज्वार पीली: 2800-2900 रुपये प्रति क्विंटल।
  • बाजरा: 2450-2500 रुपये प्रति क्विंटल।

दाल-दलहन की स्थिति

  • मूंग मिल डिलीवरी: 7500-8000 रुपये प्रति क्विंटल।
  • चना दाल बोल्ड: 8350-8400 रुपये प्रति क्विंटल।
  • अरहर दाल: 11000-13000 रुपये प्रति क्विंटल।

ग्वार और ग्वारगम

ग्वार और ग्वारगम के दामों में भी हलचल रही। ग्वार जयपुर लाइन के दाम 5180-5300 रुपये प्रति क्विंटल और ग्वारगम जोधपुर के दाम 10600 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किए गए।

सरसों तेल की मांग और भविष्य की स्थिति

विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में सरसों तेल की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने और आयातित तेलों की कीमतों में स्थिरता के कारण घरेलू बाजार पर इसका असर पड़ेगा।

उपभोक्ताओं पर असर

खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। सरसों तेल, जो आमतौर पर हर घर की रसोई का हिस्सा है, की कीमतों में बढ़ोतरी से मध्यम वर्ग के बजट पर दबाव बढ़ेगा।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को खाद्य तेलों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए कदम उठाने चाहिए। आयात शुल्क में कटौती और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने से स्थिति में सुधार हो सकता है।

क्या हो सकता है समाधान?

सरकार यदि आयात शुल्क घटाए और घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करे, तो खाद्य तेलों की कीमतों में स्थिरता लाई जा सकती है।

जयपुर मंडी में सरसों तेल और अन्य खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल का सीधा कारण आयातित तेलों की बढ़ती कीमतें और कमजोर आवक है। आम उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकार और बाजार दोनों को सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है।

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