एनएचएम कर्मचारियों ने काली पट्टी व काले रिबन लगाकर जताया विरोध
एनएचएम कर्मचारियों ने काली पट्टी व काले रिबन लगाकर जताया विरोध
खेत खजाना, सिरसा। प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में हुए निर्णय के पश्चात पूरे हरियाणा में एनएचएम कर्मचारियों ने अपनी लम्बित मांगों को लेकर ब्लैक रिबन व काली पट्टी लगाकर अपना विरोध प्रकट करते हुए आगामी आन्दोलन का आगाज किया। प्रदेश अध्यक्ष विपिन शर्मा ने बताया कि पिछले 5 वर्षों से हरियाणा प्रदेश में कार्यरत एनएचएम के कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी सरकार व विभाग द्वारा की जा रही है।
संगठन ने पत्राचार व बैठकों के माध्यम से सरकार के सम्मुख बातें रखी, जिसमें उन्होंने बताया कि एनएचएम कर्मचारियों को नियमित करने के लिए वर्ष 2016 में दो बार अधिकारियों के द्वारा मसौदा तैयार किया गया था, जिसे सरकार द्वारा अनदेखा किया गया है। वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री हरियाणा द्वारा एनएचएम कर्मचारियों के कोविड काल के दौरान किए गए कार्य को देखते हुए 7वें वेतनमान आयोग की सिफारिशें लागू करने की मंजूरी दी गई थी, परन्तु विभाग एंव अधिकारियों के द्वारा हर बार किसी न किसी प्रकार की अनावश्यक अनापत्तियां लगाकर मुख्यमंत्री की घोषणा को लागू नहीं कर रहे हैं।
जब भी एनएचएम कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार एवं अधिकारियों से बात करते हैं तो उन्हें केवल एक ही जवाब दिया जाता है कि आज तक कहीं भी एनएचएम कर्मचारी को नियमित नहीं किया गया है। वे सरकार एवं अधिकारियों को बताना चाहते हैं कि भारत सरकार द्वारा कई बार अपने विभिन्न पत्राचारों के दौरान एनएचएम कर्मचारियों कों स्वास्थ्य विभाग में समायोजित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है।
इसी संदर्भ में चिकित्सा एंव स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा जारी पत्र के तहत वर्ष 2022 में मणीपुर राज्य में एनएचएम कर्मचारियों को नियमित करने का कार्य किया गया है। इससे जुड़े सभी दस्तावेज कर्मचारी संघ के द्वारा मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं विभाग के अधिकारियों को प्रस्तुत किए गए हैं। उक्त पत्र की अनुपालना हरियाणा राज्य में आज भी लम्बित है। संघ पदाधिकारियों ने बताया कि कहीं न कहीं अधिकारी सरकार को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं।
अपनी मांगों के समर्थन में एनएचएम कर्मचारी 2 जुलाई को सभी सिविल सर्जनों के माध्यम से मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को ज्ञापन सौपेंगे। तत्पश्चात 8 जुलाई से 12 जुलाई तक सभी एमपी विधायक पक्ष व प्रतिपक्ष के माध्यम से ज्ञापन सौंपेंगे। अगर फिर भी सरकार उनकी मांगों को नहीं मांनती है तो 14 जुलाई 2024 को एक बैठक करके तुरन्त प्रभाव से आन्दोलन करने के लिये विवश होंगे। जिसकी पूर्णतया जिम्मेदारी सरकार व स्वास्थ्य विभाग की होगी।