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उत्तराखंड में बिजली संकट का बड़ा असर: 29% तक महंगी होगी बिजली

2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी आई है। रूस, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक है,

रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है, और इसका असर भारत जैसे छोटे राज्यों पर भी महसूस हुआ है। उत्तराखंड में बिजली संकट के चलते बिजली दरों में 29 फीसदी तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है। यह संकट कैसे आया और इससे उत्तराखंड की ऊर्जा स्थिति पर क्या असर पड़ा, आइए जानते हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा संकट

2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी आई है। रूस, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक है, पर युद्ध के चलते कई देशों को गैस आपूर्ति में रुकावटें आईं। इससे भारत जैसे देशों में ऊर्जा संकट गहरा गया। उत्तराखंड भी इस संकट से प्रभावित राज्यों में शामिल है, जहां पहले से ही ऊर्जा के लिए सीमित संसाधन हैं।

भारत में गैस आधारित बिजली संयंत्रों का असर

भारत के गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर इस संकट का गहरा असर पड़ा। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 24.9 गीगावाट क्षमता के गैस आधारित बिजली संयंत्र हैं, जिनमें से कई पूरी तरह बंद हो गए थे। इस संकट ने गैस आधारित बिजली उत्पादन को प्रभावित किया, जिससे भारत की बिजली आपूर्ति में भारी कमी आई।

उत्तराखंड में बिजली संकट की स्थिति

उत्तराखंड में काषीपुर में स्थित दो गैस आधारित बिजली संयंत्र हैं, जिनमें से एक की क्षमता 400 मेगावाट और दूसरे की 225 मेगावाट है। इन संयंत्रों को गैस आपूर्ति में रुकावट आई, और ये पूरी तरह बंद हो गए। इस कारण राज्य को 500-600 मेगावाट बिजली की कमी का सामना करना पड़ा। राज्य सरकार को इस कमी को पूरा करने के लिए थर्मल पावर पर निर्भर रहना पड़ा, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं था।

गैस की आपूर्ति में सुधार

2024 के अंत तक, भारत सरकार ने गैस की आपूर्ति में सुधार किया। अब, उत्तराखंड के गैस आधारित बिजली संयंत्र फिर से चालू हो गए हैं और राज्य में बिजली की स्थिति बेहतर हुई है। हालांकि, सर्दी के मौसम में बिजली की खपत बढ़ने के कारण स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाई थी।

बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव

उत्तराखंड सरकार ने बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने बिजली दरों में 12 फीसदी बढ़ोतरी की मांग की है, जबकि UJVNL और पिटकुल ने भी बिजली दरें बढ़ाने की सिफारिश की है। कुल मिलाकर, राज्य में बिजली की कीमतों में 29 फीसदी तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि, इसका अंतिम निर्णय उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को लेना है।

बिजली संकट से निपटने के उपाय

उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर कई योजनाएं बनाई हैं। प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में सुधार से गैस आधारित संयंत्रों को फिर से सक्रिय किया गया है। इसके अलावा, थर्मल और हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने की योजना भी बनाई गई है।

ऊर्जा संकट का समाधान

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न ऊर्जा संकट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विक घटनाएं स्थानीय स्तर पर भी गहरे प्रभाव डाल सकती हैं। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य भी इस संकट से प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि, भारत सरकार के प्रभावी कदमों के चलते अब राज्य में ऊर्जा स्थिति में सुधार हुआ है और संकट से निपटने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।

क्या है उत्तराखंड के लिए भविष्य का रोडमैप?

उत्तराखंड के लिए आने वाले समय में ऊर्जा आपूर्ति की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही, गैस आधारित और थर्मल संयंत्रों के पुनर्निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। इस तरह, राज्य के बिजली संकट को धीरे-धीरे दूर किया जाएगा।

रूस-यूक्रेन युद्ध और भारतीय अर्थव्यवस्था

रूस-यूक्रेन युद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाला है। भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग और आपूर्ति में कमी के कारण ऊर्जा संकट और गहरा गया है। इससे न केवल राज्य सरकारों को बल्कि आम नागरिकों को भी महंगे बिजली बिलों का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य में बिजली की स्थिति पर जनता की प्रतिक्रिया

उत्तराखंड में बिजली संकट को लेकर जनता की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ लोग बिजली दरों में बढ़ोतरी को सही ठहराते हैं, जबकि अन्य इसे एक अतिरिक्त बोझ मानते हैं। कई लोग यह मानते हैं कि राज्य सरकार को इस संकट को दूर करने के लिए और अधिक कदम उठाने चाहिए।

रूस-यूक्रेन युद्ध और भविष्य की चुनौतियाँ

रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव को पूरी तरह से खत्म करने में समय लगेगा। इस युद्ध ने यह साबित कर दिया है कि वैश्विक संकट स्थानीय स्तर पर भी गंभीर असर डाल सकते हैं। उत्तराखंड और अन्य छोटे राज्यों को इस प्रकार के संकटों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

Conclusion

उत्तराखंड में बिजली संकट की स्थिति को लेकर उठाए गए कदमों से यह स्पष्ट है कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि ऊर्जा संकट को हल किया जा सके। हालांकि, बढ़ी हुई बिजली दरें आम नागरिकों पर अतिरिक्त दबाव बना रही हैं। भविष्य में, नवीकरणीय ऊर्जा और थर्मल पावर के संयंत्रों पर ध्यान देने से राज्य में ऊर्जा की स्थिति बेहतर हो सकती है।

 

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