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गुलाबी सुंडी से आशंकित किसानों का नरमा-कपास से मोहभंग; 5 जुलाई तक मानसून की संभावना, ग्वार व मूंग का रकबा बढ़ेगा

गुलाबी सुंडी से आशंकित किसानों का नरमा-कपास से मोहभंग; 5 जुलाई तक मानसून की संभावना, ग्वार व मूंग का रकबा बढ़ेगा

खेत खजाना : नई दिल्ली, गत वर्ष (खरीफ 2023) में गुलाबी सुंडी की मार से 1.258 लाख हेक्टेयर से ज्यादा नरमा-कपास की फसल खराब होने से बड़ा नुकसान झेल चुके किसान इस बार बिजाई से कतरा रहे हैं। किसानों का नरमा कपास से इस कदर मोह भंग हुआ है कि खरीफ 2024 सीजन में बिजाई गत वर्ष की अपेक्षा 40 प्रतिशत कम है।

अब तक नरमा-कपास की बिजाई 80 447 हेक्टेयर में है जो गत वर्ष के बिजाई रकबे 135434 की तुलना में 54987 हेक्टेयर कम है। अब नरमा और कपास का मूंग व ग्वार की फसल विकल्प बन रही है। नरमा-कपास की बिजाई के उपयुक्त अवधि में महज 4 दिन शेष हैं। इससे बिजाई रकबा बढ़ने की संभावना बहुत कम है।

खरीफ 2023 में देसी कपास, अमेरिकन कपास और बीटी नरमा की बिजाई का रकबा 135434 हेक्टेयर था। कपास प‌ट्टी में गुलाबी सुंडी का जबरदस्त प्रकोप हुआ। सुंडी के प्रतिरोधक जीन की वजह से सुरक्षित माने जाने वाले बीटी नरमे पर भी गुलाबी सुंडी की मार पड़ी। बीटी नरमा की फसल तहस-नहस हुई। राजस्व विभाग की गिरदावरी रिपोर्ट के अनुसार जिले में 125016 हेक्टेयर में नरमा-कपास की फसल का नुकसान हुआ।

इससे इससे लघु व सीमांत श्रेणी के 146530 किसानों का 81136 हेक्टेयर और अन्य श्रेणी के 18248 किसानों का 43880 हेक्टेयर फसल का नुकसान गुलाबी सुंडी से हुआ। राजस्व विभाग ने 201 करोड़ रुपए रुपए मुआवजे का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा।

5 जुलाई तक मानसून की संभावना, ग्वार व मूंग का रकबा बढ़ेगा

मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि श्रीगंगानगर में मानसून 5 जुलाई तक दस्तक देगा। मोहनपुरा के किसान संतवीरिसंह के अनुसार गत वर्ष के नुकसान की वजह इस बार किसान नरमा-कपास की बिजाई करने से कतरा रहे हैं। ग्वार और मूंग के प्रति रुझान बढ़ेगा। अब नहरी पानी से ग्वार और नरमा की बिजाई हो रही है। जुलाई में मानसून आने पर बिजाई रकबा बढ़ेगा। नरमा की बिजाई का उपयुक्त समय 15 जून है।

इससे ज्यादा बिजाई होने की संभावना नहीं है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक सतीशकुमार शर्मा के अनुसार गुलाबी सुंडी वजह से किसान नरमा-कपास की बिजाई के प्रति ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं। इस बार मूंग की बिजाई का लक्ष्य 44 हजार से बढ़ाकर 70 हजार हेक्टेयर किया गया है। ग्वार का लक्ष्य 1.50 लाख हेक्टेयर रखा गया है।

1. बड़ा नुकसान और भाव नहीं मिला, दोहरी मारः राजस्व विभाग ने आपदा
प्रबंधन विभाग को 201 करोड़ रुपए
मुआवजे का प्रस्ताव भेना। हकीकत में नुकसान 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का हुआ था। सुंडी की वजह से रुई की क्वालिटी खराब हुई। इससे नरमा एमएसपी पर भी नहीं बिका। भाव 5,700 से 6,000 रुपए प्रति क्विंटल ही रहा। किसानों पर दोहरी मार पड़ी। किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ।

2. सुंडी के प्यूपा मिले, फिर प्रकोप की आशंकाः नरमा कपास को जलाक लकड़ियों (बनछटियों) अर्द्ध विकसित निष्क्रिय गुलाबी सुंडी यानी प्यूपा अवस्था में मिल रही है। गत वर्ष नवंबर तक गुलाबी सुंडी का प्रकोप रह्य। अंतिम समय के फसल के कच्चे टिंडों में गुलाबी सुंडी ने अंडे दिए। इससे प्यूपा निष्क्रिय हैं। हैं। सूखे टिंडों में मिल रहे प्यूपा अगले दिनों में सक्रिय होने से दोबारा प्रकोप की आशंका है।

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