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किसान खेती की बदलती हुई इकोनॉमी को समझें, जानें क्या कहता है कृषि विज्ञान ?

किसान खेती की बदलती हुई इकोनॉमी को समझें, जानें क्या कहता है कृषि विज्ञान ?

खेत खजाना : नई दिल्ली, कृषि विज्ञान के अनुसार एक-फसली खेती से उत्पादकता घटती है। मौसम विज्ञान बताता है कि तापमान वृद्धि से उत्पादन गिरता है। एनएसएसओ के घरेलू उपभोग व्यय सर्वे में सामने आया कि लोगों में भोजन के रूप में अनाज के प्रति कम, जबकि फल, सब्जी, अंडा, दूध और मांसाहार के प्रति ज्यादा रुझान है। 20 साल पहले एक व्यक्ति हर महीने औसतन 11.78 किलो खाद्यान्न खाता था जो 2022-23 में घटकर 8.97 किलो रह गया है।

सर्वे के अनुसार साल 2022-23 में पहली बार भारत में खाद्यान्त्र से 15 हजार करोड़ रु. ज्यादा फल और सब्जी (4.34 लाख करोड़) की पैदावार हुई है। दूध, तीन साल पहले ही गेहूं-चावल के कुल उत्पादन मूल्य को पार कर चुका है। इन आंकड़ों से यह साफ है कि परंपरागत खेती करने वाले किसान अब घाटे में रहेंगे क्योंकि एक-फसली खेती के कारण उनके जमीन की उत्पादकता घट रही है और ज्यादा पानी का दोहन करने से मिट्टी की उर्वरता भी नीचे जा रही है।

जहां यूपी सबसे ज्यादा मूल्य का अनाज पैदा कर रहा है, वहीं पश्चिम बंगाल यूपी के मात्र एक-तिहाई भू-भाग के बावजूद देश में सबसे ज्यादा फल और सब्जी पैदा कर रहा है। हालांकि आज भी देश की कृषि अर्थ-व्यवस्था में खेती की उपज का योगदान सर्वाधिक 54 प्रतिशत है लेकिन खाद्यान्न और खासकर चावल-गेहूं की जगह अन्य बहु-फसली खेती की जरूरत है।

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