ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का नियम बदला: ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर केंद्र ने जारी किए नए नियम, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब ड्राइविंग टेस्ट की जरूरत नहीं, यहां जानिए डिटेल

Update: 2023-01-31 13:30 GMT

ड्राइविंग लाइसेंस नए नियम: ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब बहुत आसान हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा कुछ नियमों में बदलाव किया गया है, जिसके बाद आम आदमी को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी. आइए जानते हैं इसका पूरा प्रोसेस।

नई दिल्ली: ड्राइविंग लाइसेंस नए नियम: चालकों के लिए काम की खबर है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब आपको क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के चक्कर नहीं लगाने होंगे, लंबी-लंबी लाइनें लगानी होंगी। केंद्र सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नियमों को बेहद आसान बना दिया है.

डीएल के लिए ड्राइविंग टेस्ट जरूरी नहीं

ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों में किए गए संशोधन के मुताबिक अब आपको आरटीओ में जाकर किसी तरह का ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। इन नियमों को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है, ये नियम लागू भी हो गए हैं। इससे वे ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ की वेटिंग लिस्ट में पड़े रहते हैं, इससे बड़ी राहत मिलेगी।

ड्राइविंग स्कूल में जाकर ट्रेनिंग लेनी चाहिए

मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आपको आरटीओ में टेस्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. आप किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। उन्हें ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से ट्रेनिंग लेनी होगी और वहां टेस्ट पास करना होगा, आवेदकों को स्कूल की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा. इसी प्रमाण पत्र के आधार पर आवेदक का ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।

क्या हैं नए नियम

प्रशिक्षण केंद्रों को लेकर सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से कुछ दिशा-निर्देश और शर्तें भी हैं। जिसमें प्रशिक्षण केंद्रों के क्षेत्र से लेकर प्रशिक्षक की शिक्षा तक शामिल है। आइए इसे समझते हैं।

1. प्राधिकृत अभिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि दुपहिया, तिपहिया एवं हल्के मोटर वाहनों के प्रशिक्षण केन्द्रों के पास कम से कम एक एकड़ भूमि हो, मध्यम एवं भारी यात्री माल वाहनों या ट्रेलरों के केन्द्रों के लिये दो एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी।

2. ट्रेनर कम से कम 12वीं कक्षा पास हो और कम से कम पांच साल ड्राइविंग का अनुभव हो, ट्रैफिक नियमों का अच्छा जानकार हो।

3. मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम भी निर्धारित किया है। हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए पाठ्यक्रम की अवधि अधिकतम 4 सप्ताह होगी जो 29 घंटे तक चलेगी। इन ड्राइविंग सेंटर्स के सिलेबस को 2 भागों में बांटा जाएगा। सिद्धांत और व्यावहारिक।

4. लोगों को बुनियादी सड़कों, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, ऊपर और नीचे ड्राइविंग आदि पर गाड़ी चलाना सीखने में 21 घंटे खर्च करना पड़ता है। सिद्धांत भाग पूरे पाठ्यक्रम के 8 घंटे को कवर करेगा, इसमें समझ शामिल होगी सड़क शिष्टाचार, रोड रेज, यातायात शिक्षा, दुर्घटनाओं के कारणों को समझना, प्राथमिक चिकित्सा और ड्राइविंग ईंधन दक्षता।

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