इस विदेशी ने भारतीय किसानों के लिए बनाया माइक्रो सोलर पंप, चोर भी नहीं कर सकता चोरी, किसानों तक पहुंचा चुके 900 सोलर पंप

Update: 2023-05-20 09:10 GMT

खेतखजाना

इस विदेशी ने भारतीय किसानों के लिए बनाए माइक्रो सोलर पंप, चोर भी नहीं कर सकते चोरी, किसानों तक पहुंचाएं 900 सोलर पंप

फसल पकाने के लिए सबसे जरूरी है पानी, किसान अपने खेतों में पानी की कमी को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं सरकार द्वारा भेजी गई सफलता प्रधानमंत्री कुसुम योजना द्वारा देश के करोड़ों किसानों को फायदा पहुंचता है अब किसानों की बिजली व तेल से चलने वाले ट्यूबवेल कनेक्शनों की बजाय अब सोलर पंप लगवाना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें चलने और इसकी निगरानी का झंझट कम होता है और बिना किसी खर्च के लगातार 25 साल तक सिनेरेशन का बेहतरीन साधन माना जाता है।

भारतीय किसानों की यह सबसे बड़ी समस्या हल करने के लिए इन विदेशी नागरिकों ने विशेष तकनीक से सोलर पंप तैयार किए हैं, यह दोनों व्यक्ति मूल रूप से अमेरिका के नागरिक हैं और उनका कहना है कि एमआईटी जैसे वैश्विक संस्थान से पढ़ाई की स्थिति में सिंचाई की कमी की गंभीर समस्या है को लेकर इन विदेशी नागरिकों ने किसानों की सहायता करने का फैसला आज भी भारत के लाखों किसान ऐसे हैं जो सिंचाई की कमी में अपनी निराशा से अधिक उत्पादन नहीं ले सकते हैं उनके पास सिंचाई के साधन कम हैं और आय कम होने का कारण वे अपनी करुणा की जरूरत के समय पर पूरी तरह से जमीन के चश्मे के स्तर को नहीं देख पाते हैं, हर किसान के लिए चिंता का विषय बन जाता है। सरकार ने भी किसानों के लिए बहुत सी ऐसी सरकारी योजना लागू कर रखी है जिससे किसानों को बहुत लाभ होता है लेकिन फिर भी कई किसानों को इन सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है जिसके कारण वे पिछड़ जाते हैं।

आज 'सूरज से स्वावलंबन' सीरिज में हम आपको बताते हैं एक खास तरह का, खेतवर्क्स के बारे में, जो किसानों के लिए माइक्रो सोलर पंप बनाता है। कैटी टेलर और विक्टर लेस्नीवस्की ने इस जिद्दी की शुरुआत की है। ये दोनों मूल रूप से अमेरिका में रहने वाले हैं और एमआईटी जैसे वैश्विक संस्थान से पढ़े हैं। अपने मास्टर्स के दौरान उन्हें टाटा ट्रस्ट्स के एक प्रोजेक्ट से गठजोड़ का मौका मिला और इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत के किसानों के साथ उन्होंने काम करना शुरू किया।

भारतीय किसानों के लिए सोलर पंप बनाने वाले 

विक्टर ने जीएनटी डिजिटल से बात करते हुए कहा कि वह पिछले सात साल से फौरन में रह रहे हैं। इस दौरान वह लगातार किसानों के साथ काम कर रहे हैं। उनका ज्यादातर काम झारखंड और झारखंड में है। यहां पर वे किसानों के साथ क्षेत्रों पर ध्यान देते हैं ताकि उनकी जरूरतों को समझ सकें और खोज सकें-करते उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर किसानों के लिए सोलर पंप बनाए हैं। उन्होंने एक सौर-ऊर्जा संचालित सिंचाई प्रणाली विकसित की है जो किसानों को निर्दिष्ट बारिश या जहरीले ईंधन पर स्थायी रूप से बिना अपनी नाराजगी को पानी देने की अनुमति देती है।

विक्टर का कहना है कि वह किसानों से बात करते हुए समझाते हैं कि छोटे किसानों के लिए सिंचाई के साधन जुटाना बहुत मुश्किल होता है। पहले पंप और इंजन के कनेक्शन लगने का खर्च और फिर हर बिजली या डीजल की लगातार जरूरत। इसलिए उन्होंने सौर ऊर्जा की खोज का फैसला किया। भारत आने के बाद कैटी और विक्टर ने कई सी चीजों की शुरुआती फंडिंग जुटाना, अपने पंप डिजाइन के लिए भारतीय सरकार से पेटेंट लेना और फिएट में अपना मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाना।

किसानों तक पहुंच 900 सोलर पंपों के 

खेतों के समान माइक्रो सोलर पंपों के सबसे बड़े किराए हैं जिन्हें कोई भी किसान अपने घर से खेत तक ले जा सकता है, वहां आसानी से शुरू कर सकता है और फिर अपने पंपों को वापस ला सकता है है। महिलाओं को भी इस पंप में आने और लगाने से कोई समस्या नहीं होती है। यह ओपन-वेल समर्सिबल पंप है और इसका उपयोग करना बहुत आसान है।

विक्टर का कहना है कि उनके माइक्रो सोलर पंप किसानों के लिए एक बार निवेश करते हैं। इसके बाद उनकी लागत काफी कम हो जाती है। क्योंकि आप डीजल या बिजली पर स्थायी रूप से रहने की जरूरत नहीं है और सोलर पंपों की मदद से आप अपने होश से सिंचाई कर सकते हैं।

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