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दोगुना उत्पादन और कम समय में फसल; शुआट्स ने विकसित कर डाली गेहूं और धान की नई किस्में

New varieties of paddy and wheat, प्रयागराज: शौकतुल्लाह कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (शुआट्स) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में गेहूं और धान की दो नई प्रजातियों का सफलतापूर्वक विकास किया है। यह नई किस्में न केवल मौसम की चरम परिस्थितियों को सहन कर सकती हैं, बल्कि इनकी उत्पादन क्षमता भी दोगुनी है। इन प्रजातियों के साथ, किसानों को अब कम समय में अधिक उपज प्राप्त करने का मौका मिलेगा।

नई प्रजातियों की विशेषताएं

शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म एएआई डब्ल्यू-52 और धान की किस्म सुआट्स धान-7 (सुहानी) विकसित की है। ये नई प्रजातियां विशेष रूप से प्रयागराज के मौसम की चरम स्थितियों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं।

एएआई डब्ल्यू-52 की विशेषताएँ:

  • सिंचाई: कम सिंचाई की आवश्यकता।
  • पौधे की ऊंचाई: 95-98 सेमी।
  • पकने का समय: 110-115 दिन (परंपरागत किस्मों की तुलना में 5-15 दिन कम)।
  • औसत उपज: 43.94 कुंटल प्रति हेक्टेयर, जबकि सामान्य गेहूं की उपज 23-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

सुआट्स धान-7 (सुहानी) की विशेषताएँ:

  • सिंचाई: सिंचित क्षेत्र में उगाई जा सकती है।
  • पौधे की ऊंचाई: 85-95 सेमी।
  • पकने का समय: 125-130 दिन (परंपरागत किस्मों से 7-14 दिन कम)।
  • औसत उपज: 44.40 कुंटल प्रति हेक्टेयर, जबकि परंपरागत धान की उपज 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

मौसम का प्रभाव और नए उपाय

प्रयागराज में मौसम की चरम स्थितियों के चलते तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है और सर्दियों में तीन डिग्री से भी नीचे चला जाता है। इस कारण फसलों की समय प्रबंधन और उत्पादन प्रभावित होते हैं। शुआट्स ने इस समस्या को देखते हुए ये नई प्रजातियाँ विकसित की हैं, जो विपरीत मौसम में भी उच्च उपज देती हैं और कम समय में तैयार हो जाती हैं।

बीते वर्ष का उत्पादन

प्रयागराज जिले में बीते वर्ष गेहूं की खेती 2.11 लाख हेक्टेयर में की गई थी, जिससे 4.50 लाख क्विंटल उत्पादन हुआ। धान की खेती 1.71 लाख हेक्टेयर में की गई थी, जिसमें 3.70 लाख क्विंटल उत्पादन हुआ।

वैज्ञानिकों की राय

प्रो. एसडी मेकार्टी, निदेशक शोध, शुआट्स, ने कहा, “इन नई प्रजातियों के विकास से किसान विपरीत मौसम की परिस्थितियों के बावजूद बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे। इनकी उच्च उपज और कम समय में तैयार होने की क्षमता से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।”

नई गेहूं और धान की प्रजातियाँ किसान समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं, जो उन्हें अधिक लाभ देने के साथ-साथ मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उपज बढ़ाने में सहायक होंगी।

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