Sheap Farming : इन पशुओं को पालने पर 50% सब्सिडी, राष्ट्रीय पशुधन मिशन से पशुपालकों की चमकेगी किस्मत!
50% subsidy on rearing these animals, the luck of cattle farmers will shine with the National Livestock Mission!

Sheap Farming : इन पशुओं को पालने पर 50% सब्सिडी, राष्ट्रीय पशुधन मिशन से पशुपालकों की चमकेगी किस्मत!
Sheap Farming : फरवरी 2025 का महीना खत्म होने को है और इस बीच राजस्थान के बाड़मेर जिले के पशुपालकों के लिए एक शानदार खबर सामने आई है। केंद्र सरकार की “National Livestock Mission” योजना के तहत भेड़ पालन यानी Sheap Farming करने वालों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। अगर आप गूगल पर “sheep farming subsidy” या “livestock farming benefits” सर्च कर रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए ही है। बाड़मेर जैसे सरहदी इलाके में, जहाँ लोग खेती और पशुधन पर निर्भर हैं, ये योजना किसानों की आय बढ़ाने और युवाओं को रोजगार देने का सुनहरा मौका लेकर आई है। सरकार का मकसद है कि पशुपालक आर्थिक रूप से मजबूत हों और गाँवों में खुशहाली आए।
ये कोई छोटी-मोटी स्कीम नहीं है, बल्कि इसमें भेड़, बकरी और मुर्गी पालन के साथ-साथ चारा विकास (fodder development) तक को बढ़ावा देने का प्लान है। Sheap Farming को लेकर खास तौर पर जोर दिया जा रहा है, क्योंकि राजस्थान में भेड़ों की अच्छी नस्लें और ऊन का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. विनय मोहन खत्री ने बताया कि इस योजना से पशुपालकों को न सिर्फ पैसा मिलेगा, बल्कि उनके पशुधन को बेहतर करने का मौका भी मिलेगा। तो चलिए, इस खबर को थोड़ा और करीब से समझते हैं कि कैसे आप इस योजना का फायदा उठा सकते हैं और अपनी जेब भर सकते हैं।
बाड़मेर में भेड़ पालन सालों से लोगों की आजीविका का हिस्सा रहा है। यहाँ की भेड़ें न सिर्फ ऊन के लिए मशहूर हैं, बल्कि मांस और दूध के लिए भी इनकी डिमांड रहती है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के तहत सरकार ने तय किया है कि भेड़ पालन को और मजबूत किया जाए। इसके लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी का ऐलान किया गया है, जो भेड़ और बकरी इकाई (sheep and goat units) शुरू करने या चारा ब्लॉक बनाने जैसे कामों में इस्तेमाल हो सकती है। ये सब्सिडी 50 लाख रुपए तक की हो सकती है, जो दो किस्तों में मिलेगी। पहली किश्त लोन मिलते ही और दूसरी किश्त प्रोजेक्ट पूरा होने पर। यानी अगर आप भेड़ पालन शुरू करना चाहते हैं, तो आधा खर्चा सरकार उठाएगी।
अब सवाल ये है कि ये सब्सिडी कैसे मिलेगी? इसके लिए आपको सबसे पहले अपने नजदीकी बैंक या ऑनलाइन पोर्टल www.udyamimitra.in पर जाकर आवेदन करना होगा। योजना के तहत कम ब्याज दरों पर लोन (loans under NLM) भी दिया जाता है, जिससे बाकी का पैसा जुटाना आसान हो जाता है। डॉ. विनय मोहन खत्री बताते हैं कि एक भेड़ पालन इकाई में कम से कम 500 मादा और 25 नर भेड़ें होनी चाहिए। अगर आप छोटे पैमाने पर शुरू करना चाहते हैं, तो 100+5 या 200+10 जैसी छोटी इकाइयों के लिए भी सब्सिडी मिल सकती है। ये लोन और सब्सिडी का कॉम्बिनेशन पशुपालकों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
चलिए, इसे आंकड़ों से समझते हैं। नीचे दी गई टेबल में साफ दिखाया गया है कि Sheap Farming के लिए कितनी सब्सिडी और क्या-क्या फायदा मिल सकता है:
इकाई का प्रकार | न्यूनतम संख्या | अधिकतम सब्सिडी | लाभ |
---|---|---|---|
भेड़ पालन इकाई | 500 मादा + 25 नर | ₹50 लाख | ऊन, मांस और रोजगार |
छोटी भेड़ इकाई | 100 मादा + 5 नर | ₹10 लाख | शुरुआती पशुपालकों के लिए आसान |
चारा ब्लॉक इकाई | – | ₹50 लाख | चारे की उपलब्धता और बचत |
ये सब्सिडी सिर्फ भेड़ पालन तक सीमित नहीं है। अगर आप चारा विकास में पैसा लगाना चाहते हैं, जैसे साइलेज बैलर या फॉडर ब्लॉक बनाना, तो वहाँ भी 50 लाख तक की मदद मिल सकती है। इससे न सिर्फ आपके पशुओं को अच्छा चारा मिलेगा, बल्कि चारे की लागत भी कम होगी। बाड़मेर जैसे इलाके में, जहाँ सूखा और चारे की कमी आम बात है, ये सुविधा पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
अब बात करते हैं कि ये योजना कैसे काम करती है। मान लीजिए आप एक भेड़ पालन इकाई शुरू करना चाहते हैं, जिसकी कुल लागत 1 करोड़ रुपए है। इसमें से 50 लाख रुपए सरकार सब्सिडी के तौर पर देगी। बाकी 50 लाख आपको बैंक से लोन लेना होगा। लोन की पहली किश्त मिलते ही सब्सिडी की पहली किश्त आपके खाते में आ जाएगी। प्रोजेक्ट पूरा होने और राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (SIA) से वेरिफिकेशन के बाद दूसरी किश्त मिलेगी। ये प्रक्रिया पारदर्शी है और इसमें बिचौलियों का दखल कम से कम रखा गया है। बस आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी आवेदन और डॉक्यूमेंट्स जमा करने में।
बाड़मेर के एक पशुपालक रामलाल ने बताया, “पिछले साल तक भेड़ पालना मुश्किल था, क्योंकि चारा महंगा था और बाजार में दाम कम मिलता था। अब सब्सिडी मिलने से नई इकाई शुरू करने का हौसला मिला है।” ऐसे ही कई पशुपालक इस योजना से जुड़ रहे हैं। सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि गाँव के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। भेड़ों से ऊन, मांस और चमड़े का बिजनेस बढ़ेगा, जिससे लोकल मार्केट में भी तेजी आएगी।
हालांकि, कुछ सावधानियाँ भी बरतनी जरूरी हैं। सब्सिडी का फायदा लेने के लिए आपको सही नस्ल की भेड़ें चुननी होंगी, जो ऊन और मांस के लिए फायदेमंद हों। इसके लिए स्थानीय पशुपालन विभाग से सलाह ले सकते हैं। साथ ही, प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले मार्केट की डिमांड चेक कर लें, ताकि आपकी मेहनत बेकार न जाए। सरकार की ओर से ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं, जिनमें हिस्सा लेकर आप भेड़ पालन के गुर सीख सकते हैं।
Sheap Farming की खासियत ये है कि ये कम लागत में शुरू हो सकता है और इसका रिटर्न भी अच्छा है। राजस्थान में भेड़ों की नस्लें जैसे मारवाड़ी और मालपुरी ऊन के लिए मशहूर हैं। इनसे न सिर्फ लोकल मार्केट में सप्लाई हो सकती है, बल्कि एक्सपोर्ट का मौका भी बन सकता है। ऊन का बिजनेस बढ़ने से टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भी फायदा होगा। साथ ही, चारा विकास से पर्यावरण को भी सपोर्ट मिलेगा, क्योंकि हरे-भरे खेत मिट्टी के कटाव को रोकते हैं।
तो भाइयों, अगर आप बाड़मेर या आसपास के इलाके में रहते हैं और पशुपालन का सोच रहे हैं, तो ये आपके लिए बेस्ट मौका है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत Sheap Farming शुरू करें और 50 प्रतिशत सब्सिडी का फायदा उठाएं। अपने नजदीकी बैंक या पशुपालन विभाग में आज ही संपर्क करें और इस योजना से जुड़ें। खेत खजाना की ओर से यही सलाह है कि देर न करें, क्योंकि सही वक्त पर उठाया गया कदम ही कामयाबी की गारंटी देता है।