Pennisetum purpureum : थाईलैंड की इस खास खेती में जुटे भारतीय किसान,1 बार लगाकर सालों तक कर रहे है लाखों में कमाई
Pennisetum purpureum : थाईलैंड की इस खास खेती में जुटे भारतीय किसान, 1 बार लगाकर सालों तक कर रहे है लाखों में कमाई
खेत खजाना, Pennisetum purpureum : खेती में मोटी कमाई करने के लिए किसानों ने एक नई फसल की तरफ रुख किया है । इस खेती से भारतीय किसान एक बार लगाकर करीब 6 सालों तक लाखों में कमाई कर रहे है । जो की हाथी घास या सुपर नेपियर घास भारत में गन्ने की तरह दिखने वाली एक विशेष प्रकार की घास है । जो मूल रूप से थाईलैंड की उपज है। इसका वैज्ञानिक नाम Pennisetum purpureum है। यह घास किसानों के साथ-साथ पशु पालकों के लिए भी फायदेमंद है। इसमें सभी पोषक तत्व मौजूद हैं जो एक दुधारू पशु को आहार के रूप में मिलने चाहिए। इस घास से दुधारू पशुओं को बहुत ज्यादा फायदा मिलता है । अगर आप Pennisetum purpureum के बारे में नहीं जानते है तो यह लेख आपके लिए बहुत खास है । इस लेख के अंत तक बने रहे क्योंकि आपको Pennisetum purpureum के बारे में टोटली जानकारी मिलेगी ।
Pennisetum purpureum घास की खेती में क्या जरूरी होता है ?
उपज क्षेत्र: Pennisetum purpureum की खेती ज्यादा कोई मुश्किल नहीं है, इसकी खेती करना बहुत आसान और लाभदायक होता है । नेपियर घास की खेती सूखा प्रभावित क्षेत्र और बंजर जमीन में भी की जा सकती है।
जल संसाधन: Pennisetum purpureum की खेती में अगर हम सिंचाई की बात करें तो इसमें अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है । इस घास की पहली कटाई के लिए कम सिंचाई में भी नेपियर घास हर 50 दिन में कटाई के लिये तैयार हो जाती है।
रोपाई: नेपियर घास की रोपाई के लिए सबसे पहले गहरी जुताई करें। आखिरी जुताई से पहले खेत में गोबर की सड़ी या कंपोस्ट खाद मिलाकर पाटा चला कर खेत को समतल कर लें। इसके बाद नेपियर घास की जड़ या कलमों से खेत में 3-3 फुट की दूरी पर रोपाई करें।
उत्पादन : नेपियर घास की एक बार रोपाई के बाद अगले 5 से 6 वर्ष तक पशु चारे का उत्पादन लिया जा सकता है। एक एकड़ खेत में नेपियर घास की खेती करने पर करीब 300 से 400 क्विंटल तक हरा चारा मिल जाता है। कटाई के बाद इसकी शाखाएं दोबारा बढ़वार करने लगती हैं। और फिर से कटाई के लिए तैयार हो जाती है ।
इसकी खेती कैसे करें?
जमीन की तैयारी: सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी मुलायम हो जाएगी और जड़ों के लिए जगह बनेगी।
खाद का प्रयोग: आखिरी जुताई के समय खेत में गोबर की सड़ी या कंपोस्ट खाद मिलाएं। इससे जमीन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी।
समतलीकरण: खाद मिलाने के बाद खेत को पाटा चलाकर समतल करें।
रोपाई: नेपियर घास की जड़ या कलमों को 3-3 फुट की दूरी पर रोपें। इससे पौधों को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिलेगी।
सिंचाई: नेपियर घास कम पानी में भी अच्छी तरह से बढ़ सकती है। हर 50 दिन में एक बार सिंचाई करें।
कटाई: घास की कटाई तनों से थोड़ा ऊपर से करें ताकि जड़ से लगा हुआ तना दोबारा पैदावार दे सके।
उर्वरक का प्रयोग: अच्छे उत्पादन के लिए, कटाई के बाद यूरिया का हल्का छींटा लगा दें। इससे घास की बढ़वार में मदद मिलेगी।
इस प्रकार नेपियर घास की खेती करके किसान और पशु पालक दोनों ही अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। यह घास न केवल पशुओं के लिए उत्तम चारा है, बल्कि इसकी खेती से आर्थिक लाभ भी होता है।
नेपियर घास से पशुओं का दूध उत्पादन में होता है?
नेपियर घास से पशुओं का दूध उत्पादन में फायदा होता है। यह घास पशुओं के लिए उत्तम चारा है और उनके दूध की उत्पादनता को बढ़ावा देती है। नेपियर घास में प्रोटीन और क्रूड फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पशुओं के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, नेपियर घास की पैदावार भी तेजी से होती है, जिससे किसान और पशु पालक दोनों को लाभ होता है।
क्या नेपियर घास की पैदावार में समस्याएं होती हैं?
नेपियर घास की खेती में कुछ सामान्य समस्याएं हो सकती हैं, जो किसानों को ध्यान में रखनी चाहिए:
अच्छी जलवायु: नेपियर घास अच्छी जलवायु में अधिक अच्छी तरह से बढ़ती है। यह जलवायु के अनुकूल नहीं होने पर पैदावार में कमी कर सकती है।
उपज की देखभाल: नेपियर घास की उपज के लिए नियमित देखभाल करनी चाहिए। इसमें नियमित कटाई, खाद और सिंचाई शामिल होती है।
बीमारियाँ: नेपियर घास को कुछ बीमारियों से भी बचाना आवश्यक होता है। इसमें फंगल और कीटाणु संक्रमण से बचाव के लिए उपयुक्त उपायों का पालन करें।
उर्वरक का सही इस्तेमाल: नेपियर घास की उच्च पैदावार के लिए उर्वरक का सही इस्तेमाल करें।
इन समस्याओं का समय पर पहचान और सही देखभाल से नेपियर घास की पैदावार में सुधार की जा सकती है।