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Cotton Farming बारिश ने धोया नरमे पर सफेद मक्खी का हमला, नरमा पट्टी में स्थिति नियंत्रित

Cotton Farming बारिश ने नरमे की फसल पर सफेद मक्खी का हमला नियंत्रित किया। फरीदकोट और बठिंडा के किसानों को राहत मिली। गुलाबी सुंडी से सतर्क रहने की आवश्यकता। खेतीबाड़ी विभाग की टीमें सक्रिय।

 Cotton Farming सूबे की नरमा पट्टी के कई इलाकों में किसान फसल पर सफेद मक्खी और गुलाबी सुंडी के चुनिंदा हमलों से परेशान हैं। खेतीबाड़ी विभाग की टीमें नुकसान का जायजा लेने के लिए सर्वेक्षण में जुटी हैं। बठिंडा, फाजिल्का जिलों में कुछ असर तो है, लेकिन वे आश्वास्त हैं कि अभी खतरा नहीं है। स्थिति नियंत्रण में है। हालिया बारिश ने नरमे पर सफेद मक्खियों को खत्म कर दिया है। इसलिए किसानों को फसल का नियमित सर्वेक्षण करने के प्रति लगातार जागरूक किया जा रहा है।

हालिया बारिश से नरमे की फसल को काफी फायदा हुआ है। इससे सफेद मक्खी के हमले से कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन गुलाबी सुंडी के हमले से सचेत रहने की जरूरत है। फरीदकोट के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. अमरीक सिंह के अनुसार, जिले में लगभग 325 हेक्टेयर में नरमे की खेती की गई है। विभाग का लक्ष्य फसल को कीटों विशेषकर गुलाबी सुंडी से बचाना और अगले वर्ष नरमे का क्षेत्रफल बढ़ाना है। बिजाई के बाद मौसम शुष्क रहने के कारण फसल की वृद्धि अच्छी नहीं थी, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के कारण फसल की वृद्धि होने के साथ परिस्थितियां भी अच्छी हैं। सफेद मक्खी का हमला नुकसान की सीमा से कम है और स्थिति नियंत्रण में है।

अगले 2-3 सप्ताह फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। फिलहाल गुलाबी सुंडी का प्रकोप कहीं देखने को नहीं मिला। लेकिन फसल में जहां सेक्स फेरोमोन ट्रैप लगाए गए हैं, वहां कहीं-कहीं गुलाबी सुंडी के कुछ कीट देखे गए हैं। इसके प्रति नरमा उत्पादकों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। विभाग की 12 सर्कल, 2 ब्लॉक और एक जिला स्तरीय कृषि विशेषज्ञ टीमें सोमवार और गुरुवार को नरमे की फसल का लगातार सर्वेक्षण कर रही हैं। ये किसानों के लगातार संपर्क में हैं। उनके अनुसार, किसानों को अपने खेतों में गुलाबी सुंडी के हमले के प्रति लगातार सर्वेक्षण करते रहना चाहिए।

वे कीड़ों के हमले के संबंध में किए जा रहे सर्वेक्षण के दौरान कृषि अधिकारियों का पूरा सहयोग करें। नरमे की फसल की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पोटेशियम नाइट्रेट के 4 छिड़काव साप्ताहिक अंतराल पर करें। यदि कोई समस्या आती है तो कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करने के बाद ही कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। बठिंडा ब्लॉक के कृषि अधिकारी बलजिंदर सिंह नंदगढ़ के मुताबिक, बठिंडा में स्थिति नियंत्रण में है, जो आर्थिक कगार से नीचे है। बारिश के बाद सफेद मक्खी नाममात्र रह गई है। फसल का विकास भी बढ़िया है। किसानों ने कीटनाशकों का स्प्रे शुरू कर दिया है।

फसल की सुरक्षा के लिए सुझाव

  1. नियमित सर्वेक्षण: किसानों को सुझाव दिया गया है कि वे अपनी फसल का नियमित सर्वेक्षण करें और किसी भी प्रकार के कीट प्रकोप की पहचान करें।
  2. पोटेशियम नाइट्रेट का उपयोग: फसल की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पोटेशियम नाइट्रेट के 4 छिड़काव साप्ताहिक अंतराल पर करने की सलाह दी गई है।
  3. विशेषज्ञों से परामर्श: यदि कोई समस्या आती है, तो कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करके ही कीटनाशकों का छिड़काव करें।

सुरक्षा और जागरूकता के प्रयास

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश ने फसल को ताजगी दी है, लेकिन मौसम के बदलाव के साथ ही कीटों के हमले का खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए किसान किसी भी प्रकार के कीट प्रकोप के संकेतों पर तुरंत ध्यान दें और कृषि अधिकारियों के साथ सहयोग करें।

विभाग की 12 सर्कल, 2 ब्लॉक, और जिला स्तरीय टीमें किसानों के साथ मिलकर काम कर रही हैं और उन्हें आवश्यक जानकारी और समर्थन प्रदान कर रही हैं। किसानों को भीड़भाड़ वाले खेतों और नमी वाले इलाकों में विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है, क्योंकि ये स्थान कीटों के प्रजनन के लिए आदर्श होते हैं।

हालिया बारिश ने नरमे की फसल को नई जान दी है, जिससे सफेद मक्खी का असर कम हो गया है। हालांकि, गुलाबी सुंडी के संभावित हमलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। किसान जागरूक रहें और फसल की देखभाल में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें। खेतीबाड़ी विभाग का प्रयास है कि इस वर्ष फसल को कीटों से मुक्त रखा जाए और अगले वर्ष नरमे का क्षेत्रफल बढ़ाया जाए।

 

 

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