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paddy leaf blight धान की फसल में पत्ती झुलसा रोग: पहचान, प्रभाव और उपचार

paddy leaf blight पत्ती झुलसा रोग (BLB) से धान की फसल को बचाने के उपाय और प्रभावी उपचार पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें। जानें इस रोग के लक्षण और इसके प्रभाव को कैसे नियंत्रित करें।

धान की फसल में पत्तियों का सूखना एक गंभीर समस्या बन गई है, जिससे उपज और आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का मुख्य कारण पत्ती झुलसा रोग (BLB) है, जो एक जीवाणु के कारण होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस रोग की पहचान कैसे करें, इसके प्रभाव क्या हैं और इसे कैसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।

पत्ती झुलसा रोग: आदर्श परिस्थितियाँ

पत्ती झुलसा रोग का मुख्य कारण एक विशेष जीवाणु है, जो गर्म और नमी से भरे मौसम में तेजी से फैलता है। जब तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है और हवा में नमी का स्तर 70% से ज्यादा होता है, तो यह रोग धान की फसल को प्रभावित करता है।

पत्ती झुलसा रोग के लक्षण

किसान भाइयों, इस रोग के लक्षणों को समय पर पहचानना अत्यंत आवश्यक है:

  1. पत्तियों का पीला पड़ना: प्रारंभिक चरण में पत्तियों के सिरे पर पीले धब्बे उभरते हैं।
  2. लंबी भूरी धारियों का उभरना: पत्तियों पर लंबी भूरी धारियाँ बन जाती हैं।
  3. पत्तियों का मुरझाना और सूखना: रोग बढ़ने पर प्रभावित पत्तियाँ मुरझाकर सूख जाती हैं।
  4. रिसाव का होना: प्रभावित हिस्से को काटने पर गाढ़े पानी जैसे रंग का रिसाव होता है।

रोग का प्रभाव

पत्ती झुलसा रोग का धान की फसल पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। अगर समय पर नियंत्रण नहीं किया गया तो यह रोग पूरे पौधे को नष्ट कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप फसल की उपज में कमी आती है और किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा, फसल की गुणवत्ता में कमी आती है, जिससे बाजार में मांग और कीमत पर भी असर पड़ता है।

पत्ती झुलसा रोग का प्रभावी उपचार

  1. कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का छिड़काव: रोग के लक्षण दिखने पर 50% WP कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  2. स्ट्रेप्टोसायक्लिन का उपयोग: कॉपर ऑक्सिक्लोराइड के छिड़काव के 10-12 दिन बाद 12-18 ग्राम प्रति एकड़ की दर से स्ट्रेप्टोसायक्लिन स्प्रे करें।
  3. यूरिया का प्रयोग कम करें: रोगग्रस्त फसलों पर यूरिया का उपयोग कम से कम करें।
  4. खरपतवार नियंत्रण: खेत में उगे खरपतवारों को पूरी तरह से निकाल दें।
  5. सिंचाई में सावधानी: रोग लगने पर कुछ दिनों के लिए पानी नहीं दें और अगली सिंचाई में 2 किलो ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग करें।

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