Cauliflower farming: फूलगोभी की खेती किस मौसम में करे?
Cauliflower farming: फूलगोभी की खेती किस मौसम में करे?
फूलगोभी (Cauliflower) एक प्रमुख गोभी वर्गीय सब्जी है जिसे विश्वभर में सब्जियों, सूप, अचार, सलाद, बिरियानी, और पकौड़े जैसे कई व्यंजनों में यूज़ किया जाता है। इसके पौष्टिक तत्व और स्वास्थ्य लाभ इसे एक फायदेमंद सब्जी बनाते हैं। फूलगोभी एक उच्च पोषण मूल्य वाली सब्जी है जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ की भरपूर मात्रा होती है। इसके नियमित सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है।
फूलगोभी की खेती के लिए जलवायु
फूलगोभी की सफल खेती के लिए ठंडा और आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम माना जाता है। 15-20 डिग्री सेल्सियस का तापमान इसकी खेती के लिए आदर्श है। अत्यधिक ठंड और पाला इसके फूलों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे फूलों का आकार छोटा हो सकता है।
उन्नत किस्में
फूलगोभी की उन्नत किस्में तापमान और प्रकाश अवधि के अनुसार उगाई जाती हैं। इसे तीन भागों में बांटा जा सकता है: अगेती, मध्यम और पिछेती। अगेती किस्मों में ‘अर्ली कुंआरी’, ‘पूसा कतिकी’, और ‘समर किंग’ प्रमुख हैं। मध्यम किस्मों में ‘पूसा सुभ्रा’ और ‘के.-1’ शामिल हैं, जबकि पिछेती किस्मों में ‘पूसा स्नोबाल-1’ और ‘स्नोबाल-16’ मुख्य हैं।
भूमि की तैयारी
फूलगोभी की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि उपयुक्त होती है। खेत को 3-4 बार जुताई करके समतल करना चाहिए। साथ ही, 20-25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट को रोपाई से 3-4 सप्ताह पहले मिट्टी में मिलाना चाहिए।
बुआई का समय
अगेती किस्मों की बीज दर 600-700 ग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि मध्यम और पिछेती किस्मों के लिए 350-400 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। अगेती किस्मों की बुआई अगस्त के अंतिम सप्ताह से 15 सितंबर तक, और मध्यम एवं पिछेती किस्मों की बुआई सितंबर से अक्टूबर तक की जाती है।
प्रमुख कीड़े और रोकथाम
फूलगोभी में लाही, गोभी मक्खी, और तम्बाकू की सूड़ी जैसे कीड़ों का प्रकोप होता है। इनकी रोकथाम के लिए इंडोसल्फान, नुवाक्रान, और थायोडान जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, गलन रोग, काला विगलन, और पर्णचित्ती जैसे रोगों से बचाव के लिए फफूंदीनाशक दवाओं का छिड़काव करना आवश्यक है।